Friday 10 April 2015

Poem on women's day ,Bhookhe bhediye hindi kavita भूखे भेड़िये - HINDI POEM ABOUT WOMEN'S day poem , GENDER EQUALITY BY SUNIL AGRAHARI


      



…… भूखे भेड़िये  ...(१०/०४/२०१५) 












मह्फ़ूज़  न आबरू औरत  की ,.
हर कोने में मिलते है भूखे भेड़िये ,

गर्भ में भी हम महफूज़ नहीं ,
क़त्ल कर देते है भूखे भेड़िये ,

अस्मत  लुटती  हर उम्र में अब ,
तार तार इज़्ज़त करते  भूखे भेड़िये ,

हम खुल के जिए या पर्दे में रहे ,
निगाहों से बलात्कार करते भूखे भेड़िये ,

हर सोच में  इनके बसती  हवस ,
वज़ूद खोते  और रौंदते भूखे भेड़िये ,

तरस   बरबस  आता   इनपर ,
माँ बहनों के संग ये कैसे रहते भूखे भेड़िये ?,







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