…अख़बार ....१८/०५/२०१५
मैं हूँ अख़बार ,मैं हूँ अख़बार ,
सब को सुबह रहता है मेरा इंतज़ार ,
मेरे बिन चाय का ज़ायका है बेकार,
मैं हूँ नाचीज़ लोग पढ़ते बार बार
ज़मी के अंदर या ज़मी के बाहर ,
मेरे बिन चाय का ज़ायका है बेकार,
मैं हूँ नाचीज़ लोग पढ़ते बार बार
ज़मी के अंदर या ज़मी के बाहर ,
आसमां के अंदर या आसमां के बाहर ,
समुन्दर के अंदर समुन्दर के बाहर ,
मुझमे है छपती बाते हज़ार,
मैं हूँ अख़बार ……
कहीं कोई भागा , गया कोई पकड़ा ,
ग़रीब और भूखे को चोर कह के पकड़ा ,
बिना बात के धक्का मुक्की और झगड़ा ,
घूसखोर साहब के घर छापा तगड़ा ,
मैं हूँ अख़बार ……
कहाँ आई बाढ़ ,कौन बह गया,
कहाँ आया भूकम्प ,कौन दब गया।,
बरसात और सूखे से कौन मर गया ,
बिल्ली की गोद में चूहा सो गया ,
सुख दुःख की खबरों का मै हूँ अम्बार ,
मैं हूँ अख़बार ……
मैं हूँ अख़बार ……
इंसान बिक गया मिट्टी के भाव में ,
जीरा बिक गया हीरे के भाव में ,
पेट्रोल जल गया मंदी के भाव में ,
खबर पढ़ के मेरी, होती है टकरार ,
सत्ता विपक्ष में हूँ दोनों का प्यारा ,
सरकारी ठेकों का मै हूँ पिटारा ,
विज्ञापन की दुनियाँ का मै हूँ सहारा ,
खबर सच छपे तो हिल गई सरकार ,
मैं हूँ अख़बार ……
चटपटी खबरें भी लोगों की ज़रूरत ,
फैशन के दुनियाँ की भूतों की मूरत ,
फोटो तो ऐसी की शकल है न सीरत ,
मनोरंजन की दुनियां से कराता सरोकार ,
मैं हूँ अख़बार ……
खबरों में बिक जाता है गवाँर ,
मैं हूँ अख़बार ……
सोने चांदी का भाव चढ़ा कितना टूटा ,
कौन सी कंपनी ने ग्राहकों को लूटा ,
नकली माल बेच जेल से कौन छूटा ,
ज़मीन किसने बेचा कर के वादा झूठा ,
खबर बिक रहे बिक रहा है बाजार
मैं हूँ अख़बार ……मैं हूँ अख़बार ……
मैं हूँ अख़बार ……मैं हूँ अख़बार ……
फोटो तो ऐसी की शकल है न सीरत ,
मनोरंजन की दुनियां से कराता सरोकार ,
मैं हूँ अख़बार ……
कहाँ कौन रूठा कहाँ कौन छूटा ,
गरीबों का खाना अमीरों का जूठा,
नेता को पीटा सर किसका फूटा ,
सरकारी अफसर ठग फर्जी झूठा ,
मैं हूँ अख़बार ……
सोने चांदी का भाव चढ़ा कितना टूटा ,
कौन सी कंपनी ने ग्राहकों को लूटा ,
नकली माल बेच जेल से कौन छूटा ,
ज़मीन किसने बेचा कर के वादा झूठा ,
खबर बिक रहे बिक रहा है बाजार
मैं हूँ अख़बार ……मैं हूँ अख़बार ……
मैं हूँ अख़बार ……मैं हूँ अख़बार ……
most funniest poem heard ever
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