Monday 18 May 2015

POEM ON NEWS PAPER , AKHBAAR HINDI POEM ON NEWS PAPER BY SUNIL AGRAHARI

…अख़बार ....१८/०५/२०१५ 

मैं हूँ अख़बार ,मैं हूँ अख़बार ,
सब को सुबह रहता है मेरा इंतज़ार ,
मेरे बिन चाय का ज़ायका है बेकार,
मैं हूँ नाचीज़ लोग पढ़ते बार बार 

ज़मी के अंदर या ज़मी के बाहर ,
आसमां के अंदर या आसमां के बाहर ,
समुन्दर के अंदर समुन्दर के बाहर  ,
जंगल से तेंदुआ कैसे आया बाहर ,
मुझमे है छपती बाते हज़ार,
 मैं हूँ अख़बार ……

कहीं कोई भागा , गया कोई पकड़ा ,
ग़रीब और भूखे को चोर कह के पकड़ा ,
बिना बात के धक्का मुक्की और झगड़ा ,
घूसखोर साहब के घर छापा तगड़ा ,
खट्टी मीठी खबरों का मै  हूँ बाजार ,
 मैं हूँ अख़बार ……

कहाँ आई बाढ़ ,कौन  बह गया,
कहाँ आया भूकम्प ,कौन  दब गया।,
बरसात और सूखे से कौन मर गया ,
बिल्ली की गोद  में चूहा सो गया ,
सुख दुःख की खबरों का मै हूँ अम्बार , 
मैं हूँ अख़बार …… 

इंसान बिक गया मिट्टी के भाव में ,
मिट्टी बिक गई सोने के भाव में ,
जीरा बिक गया  हीरे के भाव में ,
पेट्रोल जल गया मंदी के भाव में ,
खबर पढ़ के मेरी, होती है टकरार ,
 मैं हूँ अख़बार ……

सत्ता विपक्ष में हूँ दोनों  का प्यारा ,
सरकारी ठेकों का मै हूँ पिटारा ,
विज्ञापन की दुनियाँ का मै हूँ सहारा ,
खबर सच छपे तो हिल गई सरकार ,
मैं हूँ अख़बार ……


फिल्मो के हीरो  हीरोइन की सूरत ,
चटपटी खबरें भी लोगों की ज़रूरत ,
फैशन के दुनियाँ की भूतों की मूरत ,
फोटो तो ऐसी की शकल है न सीरत ,
मनोरंजन की दुनियां से कराता सरोकार ,
मैं हूँ अख़बार ……


कहाँ कौन रूठा कहाँ कौन छूटा ,
गरीबों का खाना अमीरों का जूठा,
नेता को पीटा सर किसका फूटा  ,
सरकारी अफसर ठग फर्जी झूठा ,
खबरों में बिक जाता है गवाँर ,
मैं हूँ अख़बार ……

सोने चांदी का भाव चढ़ा कितना टूटा ,

कौन सी कंपनी ने ग्राहकों को लूटा ,
नकली माल बेच  जेल से कौन छूटा ,
ज़मीन किसने बेचा कर के वादा झूठा ,
खबर बिक रहे बिक रहा है बाजार 

मैं हूँ अख़बार ……मैं हूँ अख़बार ……

मैं हूँ अख़बार ……मैं हूँ अख़बार ……







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