........घर वापसी.......(घर = धर्म )19/05/2015
यहाँ पर घर का मतलब है धर्म , घर वापसी मतलब धर्म परिवर्तन या जिन्होंने धर्म बदल लिया था किसी भी कारण से उनको फिर पुराने धर्म में वापसी के लिए प्रेरित करना और मैं क्या सोचत हूँ इस मुद्दे पर वो इस कविता में है ।
यहाँ पर घर का मतलब है धर्म , घर वापसी मतलब धर्म परिवर्तन या जिन्होंने धर्म बदल लिया था किसी भी कारण से उनको फिर पुराने धर्म में वापसी के लिए प्रेरित करना और मैं क्या सोचत हूँ इस मुद्दे पर वो इस कविता में है ।
कहते है करो घर वापसी,
रक्खा है तुम्हारे घर में क्या ?
इस घर से जाना है इक दिन,
मौत से बढ़ कर सच है क्या ?कहते है करो घर …
इक घर बताओ ऐसा जो ,
जिसमे कोई बीमार ना हो ,
घर में भीड़ बढ़ाने से,
बीमारी ठीक होगी क्या ?कहते है करो घर.…
एक भी घर ऐसा नहीं ,
जहाँ लोग सुकूँ से रहते हों ,
झाँक ज़रा अपने घर में ,
देख सब चैन रहते है क्या ?कहते है करो घर.…
पहले से तेरे घर में है जो ,
तू दुःख उनके सुनता ही नहीं ,
दुजो के घर वापसी से ,
दुःख सब के दूर होंगे क्या ?कहते है करो घर.…
पहले ही तेरे घर में ,
कितने भूखे बैठे हैं ,
उनका खाना मुझको दे ,
उनको भूखा मरेगा क्या ?कहते है करो घर.…
हर बारिश में कितने सर ,
बिन छत के गीले होते हैं ,
पहले उनको छत देदे,
फिर देखूँ तेरे घर है क्या ,कहते है करो घर.…
हर घर में बच्चे गली गली ,
निर्वस्त्र घूमते फिरते हैं
पहले उनके तन ढक दे ,
फिर देखूँ मुझे पहनाओगे क्या ?कहते है करो घर.…
खुद सन्यासी बन बैठे ,
जनता को फरमान दिया ,
छै बच्चे पैदा करो
एक से घर का होगा क्या ?कहते है करो घर.…
ऐसे घर गद्दारों को ,
घर वाले ही रुसवा करें ,
ऐसी घटिया सोच से ,
घर का भला हुवा है क्या ?कहते है करो घर.…
सब के घर एक से है ,
सब के सुख दुःख एक से है ,
समस्या तो हमारी सोच में है ,
घर बदल के होगा क्या ?कहते है करो घर.…
रक्खा है तुम्हारे घर में क्या ?
इस घर से जाना है इक दिन,
मौत से बढ़ कर सच है क्या ?कहते है करो घर …
इक घर बताओ ऐसा जो ,
जिसमे कोई बीमार ना हो ,
घर में भीड़ बढ़ाने से,
बीमारी ठीक होगी क्या ?कहते है करो घर.…
एक भी घर ऐसा नहीं ,
जहाँ लोग सुकूँ से रहते हों ,
झाँक ज़रा अपने घर में ,
देख सब चैन रहते है क्या ?कहते है करो घर.…
पहले से तेरे घर में है जो ,
तू दुःख उनके सुनता ही नहीं ,
दुजो के घर वापसी से ,
दुःख सब के दूर होंगे क्या ?कहते है करो घर.…
पहले ही तेरे घर में ,
कितने भूखे बैठे हैं ,
उनका खाना मुझको दे ,
उनको भूखा मरेगा क्या ?कहते है करो घर.…
हर बारिश में कितने सर ,
बिन छत के गीले होते हैं ,
पहले उनको छत देदे,
फिर देखूँ तेरे घर है क्या ,कहते है करो घर.…
हर घर में बच्चे गली गली ,
निर्वस्त्र घूमते फिरते हैं
पहले उनके तन ढक दे ,
फिर देखूँ मुझे पहनाओगे क्या ?कहते है करो घर.…
खुद सन्यासी बन बैठे ,
जनता को फरमान दिया ,
छै बच्चे पैदा करो
एक से घर का होगा क्या ?कहते है करो घर.…
ऐसे घर गद्दारों को ,
घर वाले ही रुसवा करें ,
ऐसी घटिया सोच से ,
घर का भला हुवा है क्या ?कहते है करो घर.…
सब के घर एक से है ,
सब के सुख दुःख एक से है ,
समस्या तो हमारी सोच में है ,
घर बदल के होगा क्या ?कहते है करो घर.…
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