Monday 25 January 2016

Jai guru ji KAISE KAHUN -JAI GURU JI BY SUNIL AGRAHAR- कैसे कहूँ










*****कैसे कहूँ***** 

कैसे कहूँ गुरु जी सब को है तेरी ज़रूरत ,
गुरु बिन न ज्ञान होव , इक तू ही सच की मूरत ,

ईश्वर की माया नगरी ,किस अर्थ हम है आये ,
अज्ञानी हम अधूरे ,गुरु जी तुम हो ज्ञान पूरक ,

मेरा दिन उदय होता , गुरु जी का नाम ले कर ,
आँखे विश्राम करती , गुरु जी का नाम ले कर ,

रस्ता विहीन मैं  हूँ  , सद मार्ग  तुम सुझा दो,
आशीष अमृत दे दो , मृग तृष्णा  को बुझा दो ,

अनजान इस जहाँ में , किस पर करे भरोसा ,
तेरी चरण शरण मिल जाये ,काँटे भी लगे फूलों सा 

चित शान्त कर दो मेरा, मोह माया पाश तोड़ो ,
गुरु भक्ति दान दे दो ,मेरा भोले से नाता जोड़ो ,

२६/०१ /२०१६  (गुरु जी)  

Wednesday 13 January 2016

GAREEB POEM BY SUNIL AGRAHARI- POEM ON POOR PEOPLE-ग़रीब

 

मारीशश - प्रकाशित 
पत्रिका - आक्रोश 
दिसंबर 2020 

***ग़रीब***(कटाक्ष ) ८ /०१/२०१६ 


कहने की बात है गरीब भी एक दिन अमीर होगा ,
गरीब के अमीर होते ही वहाँ दूसरा गरीब खड़ा होगा ,
सारी दुनियाँ में सब से ज्यादा गरीब ही बिकता है ,
कटा फटा नंगा बिना पैकिंग के ही बिकता है ,
फटे कपड़े की खिड़कियों से उसका अंग झांकता है , 
अमीरों की आँखों में वो मनोरंजन सा दिखता है ,
सच बोलूं तो गरीबों को कोई मदद भी नहीं करता है ,
कोरे वादों की गोली खा के गरीब ही मरता है, 
ग़रीब आगे बढ़ने  की जब भी कोशिश करता है ,
शीशमहल वालों की आँखों में चुभता है ,
ऐ गरीब तू वादा कर ,जब तू अमीर होगा ,
ग़रीबों की मदद करने में तू सब से करीब होगा ,
शिक्षा और हौसले  का हथियार इनको देगा ,
तभी रक्तबीज सा ग़रीबी का अन्त होगा। ........  














Monday 11 January 2016

Pyar muhabbat ki kavita ,GUJARISH -POEM BY SUNIL AGRAHARI -गुज़ारिश


*******गुज़ारिश *******१०/०१/२०१६ 

इक अदद होश में आने की गुज़ारिश की थी ,
वो तो बस मुझसे खामखाँ नाराज़ हुवे।

नज़रअंदाज़ न कर प्यार , गुजारिश की थी ,
थोड़ा मुस्काया फिर, खामखाँ नाराज़ हुवे।

हुस्न पे न कर तू अब गुरुर , गुजारिश की थी ,
अक्स देख आइना में ,खामखाँ नाराज़ हुवे।

उम्र पहरा पे रख , उनसे गुजारिश की थी ,
घूरा नज़रों से मुझे ,खामखाँ नाराज़ हुवे।

ख्वाहिश बेपर्दा करदे  मुझसे ,गुजारिश की थी ,
शर्म से पर्दा गिरा ,खामखाँ नाराज़ हुवे।

न कर हावी इश्क ,पे हुस्न ,गुजारिश की थी ,
दबा सुर्ख होठों को ,खामखाँ नाराज़ हुवे।

ख्वाब में न दस्तक देना , गुजारिश की थी ,
सुन मेरी इल्तज़ा वो  ,खामखाँ नाराज़ हुवे।

न करो जुल्म सितम ,दिल पे ,गुजारिश की थी ,
प्यार न छुपा सके वो ,खामखाँ नाराज़ हुवे।


JAI GURU JI BHAJAN BY SUNIL AGRAHARI -गुरु जी










********गुरु जी*******७ /०१/२०१६ 
गुरु जी सदा सहाय ,
भोले शंकर तुझमे समाय ,
गुरु नाम सिमरता जाय ,
गुरु जी नमः शिवाय ,

इक बार जो भी आया ,
तेरे दर पे ज़रा झुकाया ,
आशीष तेरा पाया ,
दुःख का हुवा सफाया ,

तुम्हे भक्त अपने प्यारे 
नित देते दर्शन प्यारे ,
जीवन अब तेरे सहारे ,
सारे कष्ट तुझसे हारे ,

कोई कमी न रहती ,
जिसपर तेरी कृपा बरसती ,
रहमत से झोली भरती ,
दामन में खुशियाँ खिलती ,

तेरा नाम ज़ुबान पे आये ,
कोई मुश्किल कभी न आये, 
तेरा नाम जो गुनगुनाये ,
जीवन सुख संगीत पाये    

बिगड़ी बनाने वाले ,
अपनी शरण बुला ले ,
भव सागर से बचा ले ,
अब तू ही सब सम्भाले   ....... सुनील अग्रहरि