Tuesday, 29 January 2013

motivational hindi poem badi soch dream big poem ,बड़ी सोच- कविता @sunilagrahari

   





       ...........  ............


सोचना जब भी तुम ,कुछ बड़ा सोचना , ......2 
खाली यूँ बैठने से कुछ होता  नहीं ,................2 
सपने जब देखना कुछ बड़ा देखना ,
छोटे सपनो से इन्सा बड़ा बनता  नहीं ,..........2 


गिरने के डर से तुम कभी उठते नहीं ,.............2 
इस तरह के ख्याल मन में( लाना नहीं ).........x 3 
गिरते  ही है सर सवार मैदान में ..................2 
मुर्दा दिल ख़ाक जीवन में जीते नहीं ,...........2 


( अपनी  हिम्मत से सांसों से लड़ते रहो 
एक  दिन अपनी मंजिल पे आ जाओगे )......2 
( हारना जीतना छोड़ कर तुम जियो 
जूनून दिल में न हो फतह मिलती नहीं ) .................२


 भीड़ में खुद को  ना तुम खो जाने दो ..............2

भीड़ में कोई आम ख़ास  ( होता नहीं .)..............x 3   ,
सोच कर कुछ नया कर चलो तुम बड़ा ,......2
मत जियो ऐसे जैसे कोई मकसद नहीं ,.........

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Wednesday, 23 January 2013

hindi kavita geet ummeed उम्मीद रौशन की -सुनील अग्रहरि , poem for blind people feelings by sunil agrahari

 ये कविता एक अन्धे व्यक्ति के ज़ज़्बात हैं  ………। 


माँ को छु कर अहसास किया ,
सूरत है कैसी क्या जानूं 
अब मै  अपनी आँखों से ,
कायनात देखना चाहता हूँ .

काला रंग बहोत देख चुका ,
रात के  रंग को क्या जानू 
सतरंगी सपनो के रंग को 
आँखों  से छूना चाहता हूँ 

उंगली और छड़ी ने अब तक
लाज भरोसे की रखी
अब इनको आराम दे कर 
उजाले से दोस्ती चाहता हूँ 

जाने अन्जाने ठोकर से ,
हर रिश्ते को महसूस किया 
इक लम्हा मुझको भी सोचो 
प्यार आप का पाना चाह्ता हूँ 

Choti si asha hindi geet ,motivational poem by sunil agrahari .छोटी सी आशा - कविता सुनील अग्रहरि , motivational inspiring poem by sunil agrahari

  

Published  India delhi 

Magazine- Sarv bhasha 

छोटी सी आशा ,लेकर चले हम .

सूरज की किरणों सी आगे बढे हम ,.....2
सपने सजा कर ,चल तो दिए है 
उम्मीद की लौ ,रोशन दिये है ............../2
छोटी सी आशा ..............
                             music
हिम्मत न हारे चीटी के जैसे ,
मन अपना निर्मल नदियों के जैसे ......m /2
मस्त चाल अपनी हवाओं के जैसे ,......2
ऐसी तमन्ना लेकर चले है ............/......2
छोटी सी आशा ...........
                               music
ये हौसला तो अब न रुकेगा 
मुश्किल है राहे ,फिर भी बढेगा ......//2
ये काफ़िला  यूँ  चलता रहेगा ...2
सागर की लहरों पे पल कर जिये है .....................,/2
छोटी सी आशा ........
                             music
बाते  न कोरी हम यूँ ही करते 
हिम्मत लगन से हर काम करते ........m/2
बढ़ते चले हम ,पीछे न हटते .........2
वादे ज़माने से हमने  किये  है ........................../2
छोटी सी आशा .......... 

सुनिल अग्रहरि 

Monday, 21 January 2013

shakti roop hindi poem ,शक्ति रूप - कविता सुनील अग्रहरि - नारी शक्ति, poem for woman's by sunil agrahari


             


published in 
jankarikaal magazin march 21

 शक्ति रूप


ये नारी है कितनी न्यारी ,कभी माँ का रूप बन जाती है ,
और कभी राखी बन  कर   कलाई   पर    सज जाती है ,

जिस गोद में नानी दादी के ,बड़े हुवे हो तुम पल कर ,

ममता के उस आँचल को मैला न करो पंवा चल कर ,

नारी तुम केवल अबला नहीं ,तुम संसार की शक्ति हो ,

जीवन की उत्थान हो तुम ,तुम ही श्रद्धा भक्ति हो ,

देवों के देव महादेव ने ,अर्धनारीश्वर  अवतार लिया ,

नारी शक्ति है गाथा अनंत ,सारी  दुनिया को तार दिया ,

शर्म   नहीं आती  है  तुमको ,बर्ताव है जैसे    भेड़िया ,

बदनामी गले लगाते  हो , और अंजाम है हाथो में बेड़िया ,

अपने घर की नारी का जब ,अपमान तुम्हे बर्दाश्त नहीं ,

तो और  किसी नारी के अपमान का तुम्हें अधिकार नहीं ,

मत भूल नारी जग जगजननी है ,पुरुष है इसका मात्र अंश  ,

कन्या  वध करने  वाला   ,बच  न   पाया   बलशाली  कंस ,

समाज में जितना हक़ है तुम्हारा ,उतने हक़ स्त्री  के भी है ,

है वक्त अभी संभल जाओ ,,वरना हाथ महिलओं के भी है ,

शर्म  करो   और बंद करो  , स्त्री   पे अत्यचार को ,

इज्ज़त दो सम्मान करो ,नई उर्जा का संचार करो ,  

shakti roop poem 
poem on women's day , 





Thursday, 17 January 2013

motivational inspiring poem "Mai chala "मै चला - कविता सुनील अग्रहरि , by sunil agrahari

                       


मै चला ............................x 4

मै चला था अकेला सफ़र में कभी

लोग मिलते गए  ( कारवां बन गया )..........x 2
हंस के गैरों से भी हम तो मिलते गए
कैसे है नासमझ ,  (कुछ का दिल जल गया ).....x 2
मै चला ............................x 4

दुश्मनी  हमको तो करी आती नहीं

प्यार से सब का दिल जीत लेते है हम ..........2
( मुस्कुरा के कभी ,हमसे जो भी गया
हम गले मिलने से   (चूकते भी  नहीं ),....2 ).......2
मै चला ............................x 4

धोखा देना कभी हमने सीखा नहीं ,............2

वादा जो भी किया ,उसपे मर मिट गए ..........2
कर खुदा  का भरोसा, हम बढते गए
खेल जीत हार  से   (हम तो डरते नहीं )........2
मै चला ............................x 4


लेकर आये थे क्या ,ले कर जायेंगे क्या

अपने जीने का अंदाज़ ही रह जायेगा  ............2
 ( इसलिए कहता हूँ ऐ मेरे दोस्तों
 ये मुकद्दर का सिकंदर  ( कहलायेगा ) ,....2 )....2 
मै चला ............................x 4