Wednesday 23 January 2013

hindi kavita geet ummeed उम्मीद रौशन की -सुनील अग्रहरि , poem for blind people feelings by sunil agrahari

 ये कविता एक अन्धे व्यक्ति के ज़ज़्बात हैं  ………। 


माँ को छु कर अहसास किया ,
सूरत है कैसी क्या जानूं 
अब मै  अपनी आँखों से ,
कायनात देखना चाहता हूँ .

काला रंग बहोत देख चुका ,
रात के  रंग को क्या जानू 
सतरंगी सपनो के रंग को 
आँखों  से छूना चाहता हूँ 

उंगली और छड़ी ने अब तक
लाज भरोसे की रखी
अब इनको आराम दे कर 
उजाले से दोस्ती चाहता हूँ 

जाने अन्जाने ठोकर से ,
हर रिश्ते को महसूस किया 
इक लम्हा मुझको भी सोचो 
प्यार आप का पाना चाह्ता हूँ 

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