Monday 21 January 2013

shakti roop hindi poem ,शक्ति रूप - कविता सुनील अग्रहरि - नारी शक्ति, poem for woman's by sunil agrahari


             


published in 
jankarikaal magazin march 21

 शक्ति रूप


ये नारी है कितनी न्यारी ,कभी माँ का रूप बन जाती है ,
और कभी राखी बन  कर   कलाई   पर    सज जाती है ,

जिस गोद में नानी दादी के ,बड़े हुवे हो तुम पल कर ,

ममता के उस आँचल को मैला न करो पंवा चल कर ,

नारी तुम केवल अबला नहीं ,तुम संसार की शक्ति हो ,

जीवन की उत्थान हो तुम ,तुम ही श्रद्धा भक्ति हो ,

देवों के देव महादेव ने ,अर्धनारीश्वर  अवतार लिया ,

नारी शक्ति है गाथा अनंत ,सारी  दुनिया को तार दिया ,

शर्म   नहीं आती  है  तुमको ,बर्ताव है जैसे    भेड़िया ,

बदनामी गले लगाते  हो , और अंजाम है हाथो में बेड़िया ,

अपने घर की नारी का जब ,अपमान तुम्हे बर्दाश्त नहीं ,

तो और  किसी नारी के अपमान का तुम्हें अधिकार नहीं ,

मत भूल नारी जग जगजननी है ,पुरुष है इसका मात्र अंश  ,

कन्या  वध करने  वाला   ,बच  न   पाया   बलशाली  कंस ,

समाज में जितना हक़ है तुम्हारा ,उतने हक़ स्त्री  के भी है ,

है वक्त अभी संभल जाओ ,,वरना हाथ महिलओं के भी है ,

शर्म  करो   और बंद करो  , स्त्री   पे अत्यचार को ,

इज्ज़त दो सम्मान करो ,नई उर्जा का संचार करो ,  

shakti roop poem 
poem on women's day , 





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