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jankarikaal magazin march 21
शक्ति रूप
ये नारी है कितनी न्यारी ,कभी माँ का रूप बन जाती है ,
और कभी राखी बन कर कलाई पर सज जाती है ,
जिस गोद में नानी दादी के ,बड़े हुवे हो तुम पल कर ,
ममता के उस आँचल को मैला न करो पंवा चल कर ,
नारी तुम केवल अबला नहीं ,तुम संसार की शक्ति हो ,
जीवन की उत्थान हो तुम ,तुम ही श्रद्धा भक्ति हो ,
देवों के देव महादेव ने ,अर्धनारीश्वर अवतार लिया ,
नारी शक्ति है गाथा अनंत ,सारी दुनिया को तार दिया ,
शर्म नहीं आती है तुमको ,बर्ताव है जैसे भेड़िया ,
बदनामी गले लगाते हो , और अंजाम है हाथो में बेड़िया ,
अपने घर की नारी का जब ,अपमान तुम्हे बर्दाश्त नहीं ,
तो और किसी नारी के अपमान का तुम्हें अधिकार नहीं ,
मत भूल नारी जग जगजननी है ,पुरुष है इसका मात्र अंश ,
कन्या वध करने वाला ,बच न पाया बलशाली कंस ,
समाज में जितना हक़ है तुम्हारा ,उतने हक़ स्त्री के भी है ,
है वक्त अभी संभल जाओ ,,वरना हाथ महिलओं के भी है ,
शर्म करो और बंद करो , स्त्री पे अत्यचार को ,
इज्ज़त दो सम्मान करो ,नई उर्जा का संचार करो ,
shakti roop poem
poem on women's day ,
और कभी राखी बन कर कलाई पर सज जाती है ,
जिस गोद में नानी दादी के ,बड़े हुवे हो तुम पल कर ,
ममता के उस आँचल को मैला न करो पंवा चल कर ,
नारी तुम केवल अबला नहीं ,तुम संसार की शक्ति हो ,
जीवन की उत्थान हो तुम ,तुम ही श्रद्धा भक्ति हो ,
देवों के देव महादेव ने ,अर्धनारीश्वर अवतार लिया ,
नारी शक्ति है गाथा अनंत ,सारी दुनिया को तार दिया ,
शर्म नहीं आती है तुमको ,बर्ताव है जैसे भेड़िया ,
बदनामी गले लगाते हो , और अंजाम है हाथो में बेड़िया ,
अपने घर की नारी का जब ,अपमान तुम्हे बर्दाश्त नहीं ,
तो और किसी नारी के अपमान का तुम्हें अधिकार नहीं ,
मत भूल नारी जग जगजननी है ,पुरुष है इसका मात्र अंश ,
कन्या वध करने वाला ,बच न पाया बलशाली कंस ,
समाज में जितना हक़ है तुम्हारा ,उतने हक़ स्त्री के भी है ,
है वक्त अभी संभल जाओ ,,वरना हाथ महिलओं के भी है ,
शर्म करो और बंद करो , स्त्री पे अत्यचार को ,
इज्ज़त दो सम्मान करो ,नई उर्जा का संचार करो ,
shakti roop poem
poem on women's day ,
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