Thursday, 23 April 2015

Poem on STONES , PAIN , sacchai , Patthar ka dard hindi kavita - HINDI POEM ON STONE's feelings BY SUNIL AGRAHARI

 

Published in Prayagraj
 Magazine- Amrit Prabhat 1980

patthar ka dard

ये एक छन्द मुक्त कविता है , इस कविता में पत्थरों की भावनाओं को मनुष्यों की भावनाओं से अहिंसा को जोड़ने की कोशिश की गई है  ……  पत्थर कहता है 

तराशो मुझे ,यूँ  ही पड़ा रहने  दो
राह  का पत्थर  हूँ ,यूँ ही  ठोकर खाने दो  
ग़र तराशोगे  मुझको  हथोड़े चलेंगे
पैरों के ठोकर की आदत पड़ी है ..........

वैसे तो ठोकर भी  अब सहा नहीं जाता
अभी कल की ही बात है..........
जाने किस्से चोट लगी ,बड़ी तेज़ चिंगारी उठी
सोचा चिल्लाऊं ,लेकिन आवाज़ ही नहीं निकली
सोचा, देखूं ,कहाँ चोट लगी है ?
देखते ही आँखों ने नम  होना चाहा
मगर ऑंखें, रेगिस्तान जैसे सुखी रह गई  ,

फिर अचानक याद  आई .......
हमारी जात में ऐसी सुविधा कहाँ ,
इसी लिए मजबूर हूँ ,लाचार हूँ  ,समझ में नहीं आता ,
रब ने हम पत्थरों से क्यूँ की बेवफाई
हम पत्थरों की जात में आवाज़ आंसू क्यों न बनाई ,
हम इसी में संतोष कर लेते ,
जिसने जैसा चाहा तोड़ा, जैसा चाहा फोड़ा ,
मगर हमने उफ़ तक ना किया , जवाब भी ना दिया ,
किसी को मरने काम भी मुझसे ही लिया ,
क्या करूँ .... हाथ ही नहीं है ……नहीं तो रोक लेता ,

सारी अहिंसा तो हम पत्थरों की जात में मिलेगी ,
वैसे हम लोगो को इसी बात का गर्व
और इसी बात का दर्द है ,
शायद इसी लिए हम लोग पत्थर कहे जाते है ,
अरे ओ ऊपर वाले ,
हम लोगो की थोड़ी सी अहिंसा मनुष्यों को दे देते ,
तो शायद ये मनुष्यों की ये हालत न होती ,
और हमें इनके थोड़े से आंसू दे देते 
तो शायद हम लोग भी रो कर जी हल्का कर लेते ,
तब शायद पत्थर होने का ग़म न होता   ………३ 



Tuesday, 21 April 2015

poem on women's day , Chitthi kanya bhroon ki hindi kavita , पाती कन्या भ्रूण की- SOCIAL PROBLEMS OF GIRL CHILD, day BY SUNIL AGRAHARI

   

  

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....पाती कन्या भ्रूण की ..... (२२/०४/२०१५ )


         कन्या भ्रूण  की चिट्ठी है , कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ , कहती है 



मारते हो तुम क्यों मुझको ,
मैंने न बिगाड़ा कुछ तेरा ,
हम से तुम और  तुम से हम , 
कुछ भी  नहीं तेरा मेरा ,

अभी तो हमने की  तैयारी ,
 इस धरती पर आने को ,
आने से पहले ही तुमने  ,
दुश्मन किया  ज़माने को ,

छोटी बड़ी हर गलती  तेरी  , 
अपने आँचल से ढँकती  हूँ ,
धड़कन तेरी चलती रहे  , 
खून बन रगों मेंकर दौड़ती हूँ ,

न हूँगी मैं इस दुनियां में  ,
रिश्ता तुम किस्से निभाओगे ?
फसल लड़को की उगने को ,
वो ज़मीं कहाँ से लाओगे ?

मार के कन्या भ्रूण को ,
तुम भी ना  बच पाओगे ,
हम तो कहानी बन जाएंगे , 
तुम  भी इतिहास बन जाओगे ,











Friday, 10 April 2015

Poem on women's day ,Bhookhe bhediye hindi kavita भूखे भेड़िये - HINDI POEM ABOUT WOMEN'S day poem , GENDER EQUALITY BY SUNIL AGRAHARI


      



…… भूखे भेड़िये  ...(१०/०४/२०१५) 












मह्फ़ूज़  न आबरू औरत  की ,.
हर कोने में मिलते है भूखे भेड़िये ,

गर्भ में भी हम महफूज़ नहीं ,
क़त्ल कर देते है भूखे भेड़िये ,

अस्मत  लुटती  हर उम्र में अब ,
तार तार इज़्ज़त करते  भूखे भेड़िये ,

हम खुल के जिए या पर्दे में रहे ,
निगाहों से बलात्कार करते भूखे भेड़िये ,

हर सोच में  इनके बसती  हवस ,
वज़ूद खोते  और रौंदते भूखे भेड़िये ,

तरस   बरबस  आता   इनपर ,
माँ बहनों के संग ये कैसे रहते भूखे भेड़िये ?,







Tuesday, 7 April 2015

हिन्दी उत्थान


                                          

हिन्दी उत्थान 




हिंदुस्तान का नाम आते ही , हमारे मानस पटल  पर , हिंदी भाषा अपने आप ही आ जाती है , क्यों की हिन्दी केवल भाषा ही नही  बल्कि  ये हमारी संस्कृति संस्कार और  सभ्यता  भी है,हिन्दी ने हमेशा से सभी भाषाओँ  का सम्मान किया है लेकिन आज स्वयं हिंन्दी की मान मर्यादा  दूसरे भाषाओँ के सामने दयनीय स्थति में  दिखाई देती है , ऐसा नहीं की हिन्दी कमज़ोर है दूसरी भाषाओं से बल्कि  हम लोग दूर  रहे है अपनी मातृ भाषा हिन्दी  से , देश  वर्षो से स्वतंत्र हो चुका है  लकिन  हमारी भाषा  हिन्दी  आज भी गुलामी की जंजीर में जकड़ी  हुई है, हिन्दी को सम्मान और आज़ादी  दिलाने के लिए हमें हमारी युवा पीढ़ी को जागरूक करने की ज़रूरत है   तभी देश को अपनी  भाषा मुखर और स्वतंत्र रूप से मिल पायेगी ................... 
उसी  श्रृंखला में "मीहू "( में आइ हेल्प यू ) संस्था , विद्यार्थियों  और अध्यापकों के लिए  हिन्दी  की सबसे प्रचलित  विधा  कविता  लेखन एवं  पाठन प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है , जिससे उनके अंदर हिन्दी लिखने और पढ़ने में रूचि पैदा  हो और सर्वाँगीड़  विकास  हो सके। 
"मीहू" आपसे आग्रह  करती है की आप ज्यादा  से ज्यादा  संख्या में अपनी सहभागिता  निभा  कर  अपने देश और मातृ भाषा को ऊर्जावान बनाएं। 

मुख्य आकर्षण----

१) सभी प्रतियोगी  विद्यालय एवं विद्यर्थी को  सम्मान प्रमाण पत्र 
२) बाल कवि सम्मलेन में कविता पाठ 
३) चयनित कविता संकलन  प्रकाशन 
४) हिन्दी अध्यापक सम्मान 

नियम ----

१) कविता स्वरचित होनी चाहिए।  . 
२) कविता  स्वतंत्र भाव अभिव्यक्ति अर्थात  किसी भी शीर्षक पर आधारित हो सकती है। 
३)  हिन्दी भाषा सहयोग राशि  मात्र १०० रू।