Monday 21 September 2015

Poem on zindagi life's , NAZARIYA HINDI POEM ,नज़रिया- poem on nazariya , HINDI POEM ON VIEWS by sunil agrahari

   

           

………   नज़रिया  २१ /०९/१५ ………… 

वो ज़लील  फैसले ही थे  की 
बेक़सूर आँखे छलक पड़ी

कुछ अजीब सी थी मजबूरियां ,
की खामोश थी ज़ुबान पड़ी ,

दौलत की अन्धी उनकी नज़र 
सच्चाई पर न नज़र पड़ी ,

बेअक्ल पर न जाया करो 
तेरी आसुओं की है इज़्ज़त बड़ी ,

वो गुलाम है अब तक गुरुर के 
तुम मुस्कुराती मुश्किल में खड़ी ,

ना गुमान  कर  तू ऐ रहनुमां 
इस जहाँ में सब की है इक घड़ी ,



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