Tuesday 14 June 2016

Poem on zindagi , life's , BEWAJAH POEM BY SUNIL AGRAHARI -hindi poem on without any reason positivity and willingness-बेवजह

     
**** बेवजह****  
                                                                                                            
समझदार बन के , खामोश बैठे हो ,
बेवजह भी कभी मुस्कुराया करो ,

ग़र मतलब हो , घर से बाहर आते हो ,

बेवजह भी कभी निकल आया करो ,

काम की बाते तो हर वक़्त करते हो ,

बेवजह बातें करने भी कभी आया करो ,

ज़रूरत पर ही लोगो से क्यूँ मिलते हो ?

बेवजह भी कभी मिलने आया करो  ,

अपनों से तो गले तुम रोज़ मिलते हो ,

बेवजह के भी रिश्ते कभी निभाया करो ,

होशियार ज़िम्मेदार बड़े बनते हो ,

बेवजह बच्चों संग कभी खेला करो ,

ज़िंदा रहने के खातिर वजह ढूँढते हो ,

बेवजह ज़िन्दगी भी कभी जिया करो ,    १२/०६/२०१६ ---रात 2 बजे 

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