**** बेवजह****
समझदार बन के , खामोश बैठे हो ,
बेवजह भी कभी मुस्कुराया करो ,
ग़र मतलब हो , घर से बाहर आते हो ,
बेवजह भी कभी निकल आया करो ,
काम की बाते तो हर वक़्त करते हो ,
बेवजह बातें करने भी कभी आया करो ,
ज़रूरत पर ही लोगो से क्यूँ मिलते हो ?
बेवजह भी कभी मिलने आया करो ,
अपनों से तो गले तुम रोज़ मिलते हो ,
बेवजह के भी रिश्ते कभी निभाया करो ,
होशियार ज़िम्मेदार बड़े बनते हो ,
बेवजह बच्चों संग कभी खेला करो ,
ज़िंदा रहने के खातिर वजह ढूँढते हो ,
बेवजह ज़िन्दगी भी कभी जिया करो , १२/०६/२०१६ ---रात 2 बजे
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