****आया हूँ***
दो कदम तुम चलो ,चार हम भी चले ,
तुमसे कन्धा मिलाने आया हूँ मैं ,
तेरी खुशियों से मुझको मतलब नहीं ,
बांटने तेरे ग़म को आया हूँ मैं ,
मुश्किलें है तेरी ,लड़ना तुझको ही हैं ,
हौसला बस तेरा बढ़ाने आया हूँ मैं ,
इस जहाँ में ना रो , तन्हा ही तू ,
अश्क को पोछने तेरे,आया हूँ मैं ,
वक्त हो अच्छा तो ,साथ देते है सब ,
गर्दीशी को निभाने तेरे, आया हूँ मैं ,
वो इन्सां ही क्या ,जिए खुद के लिये ,
जीने दूजो के खातिर , आया हूँ मैं ,
१२/०६/२०१६--- रात २:३० बजे
No comments:
Post a Comment