*****हुनर *****
तेरा हुनर जब से वख्त ने पहचाना ,
हर शै शहर का हुवा तेरा दीवाना ,
हर शै शहर का हुवा तेरा दीवाना ,
तुझे छु कर बंज़र मिटटी हुई सोना
पत्थरो में आस का फूटा है झरना ,
शहर दर शहर बुत भी , तेरा दीवाना
मिलने की चाह में बस आगे बढ़ते जाना
हर अदना बड़ा पत्थर, तुझपे नज़र टिकाये ,
क्या पता तेरा दिल, कब उनपर आ जाये
पत्थरों की चिंगारी में ,दिल धड़क जाए ,
अखबारों में ये चर्चा खूब आम हो जाये
मिटटी की बदली जैसे ,उनकी भी बदल जाए
नकारे से ये पत्थर, सोने में बदल जाए,
बस एक बार हाथ तेरा ,पत्थरो को छू जाए।
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