झलक तो अब दिखला जा नैना बादल बरसे।
सोचा था मिल जाओगे ,जब निकला घर से ,
मन उथल पुथल थम जायेगा मिलने भर से।
कहा नहीं अब तक कुछ तुझसे लगता भय से ,
ख्वाब ख्याल तेरा है मुझको लगता मय से।
खबर तेरे आने की जैसे खिलते फूल से ,
सब कुछ भूल से भूला रहता हूँ मैं जैसे ,
कायनात से बातें कर तेरी, मन मेरा हरसे ,
चर्चा हो चहुँ और तेरी , दिल बोले मन से ,
तड़प है कैसी प्यास नहीं बुझती है जल से ,
जबकी हरपल जीता रहता तेरे जलसे ,
जिस पल तुझको जियूं न वो पल जैसे शूल से ,
उलझ सुलझ कर जुड़ा हूँ मैं तो तेरे मूल से।
सोचा था मिल जाओगे ,जब निकला घर से ,
मन उथल पुथल थम जायेगा मिलने भर से।
कहा नहीं अब तक कुछ तुझसे लगता भय से ,
ख्वाब ख्याल तेरा है मुझको लगता मय से।
खबर तेरे आने की जैसे खिलते फूल से ,
सब कुछ भूल से भूला रहता हूँ मैं जैसे ,
कायनात से बातें कर तेरी, मन मेरा हरसे ,
चर्चा हो चहुँ और तेरी , दिल बोले मन से ,
तड़प है कैसी प्यास नहीं बुझती है जल से ,
जबकी हरपल जीता रहता तेरे जलसे ,
जिस पल तुझको जियूं न वो पल जैसे शूल से ,
उलझ सुलझ कर जुड़ा हूँ मैं तो तेरे मूल से।
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