Thursday 13 July 2017

Poem on pyaar love ,ARSE POEM BY SUNILAGRAHARI - intazar-अरसे

    



 


*****अरसे ****                                                                                     

  देखा नहीं  है जाने बीते कितने अरसे ,
झलक तो अब दिखला जा नैना बादल बरसे। 

सोचा था मिल जाओगे ,जब निकला घर से ,
मन उथल पुथल थम जायेगा मिलने भर से। 

कहा नहीं अब तक कुछ तुझसे लगता भय से ,                                         
ख्वाब ख्याल तेरा है मुझको लगता मय  से।                                                     

खबर तेरे आने की जैसे खिलते फूल से ,
सब कुछ भूल से भूला रहता हूँ मैं जैसे ,

कायनात से बातें कर तेरी, मन मेरा हरसे ,
चर्चा हो चहुँ और तेरी , दिल बोले मन  से ,

तड़प है कैसी प्यास नहीं बुझती है जल से ,
जबकी  हरपल जीता रहता तेरे जलसे ,

जिस पल तुझको जियूं न वो पल जैसे शूल से ,
उलझ सुलझ कर जुड़ा हूँ मैं तो तेरे मूल से।  

 @१०/०५/२०१४ 



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