Tuesday, 16 September 2014

neta ji hindi kaviat अरे नेता जी ( व्यंग्य )-, hindi poem on corrupt leaders

  

  … अरे नेता जी  ( व्यंग्य  ).... 

मरो तुम तो झुके झंडा 
मरे हम तो मिले अंडा ( शून्य )
करे  हम बात हक़ की तो 
पुलिस  बरसाती है डंडा ,

शपथ लेकर बने नेता ,आई जनता की शामत  है 
खिला तेरा मुकद्दर है  ,तो मैली आज खद्दर है ,

तू मातम का है सौदागर ,
छलकता पाप का गागर
तेरा तो खेल है दंगा,तू आँखों के है संग अँधा ,

खरीदा वोट देके नोट ,
सियासत में भी भर दी खोट ,
हमें तो होती है हैरत ,बची न तुममे  कुछ गैरत ,

तुमसे तो भली वैश्या,
बेचती है जो अपना तन
तुम इससे हो गए गुज़रे,बेचते हो अपना वतन

वतन की आबरू इज़्ज़त

बचाई जान दे कर के ,
पुराने थे वो कैसे नेता
न उनके पास कुछ भी था

मिटे वो देश के खातिर

वफादारी नहीं छोड़ी ,
तूने बेच दिया इज़्ज़त,
कफ़न  तक उनकी ना छोड़ी 
नहीं बेचा अपना ज़मीर
आज़ादी के बदले में ,
चाहे रह गए फ़क़ीर ,
कंगाली के बंगले में ,
सलाम उनको तहे दिल से,
करो ऐ देश की जनता ,
करो इज़्ज़त शहादत की
के उनका हक़  हमपे  बनता,
झंडा  कहता है  नेता  जी से ……………


तम्हारे शोक में झुकता नहीं झंडा ऐ नेता जी

शरम से झुकता हूँ मजबूर हूँ लाचार  नेता जी
बिना झंडे के हो गए दफ़्न , वतन को नाज़ है  जिनपे 
सलाम उनको नमन मेरा  ,फहरता   हूँ  उनके  दमपे ,





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