Monday, 22 September 2014

poem on love , pyar , muhabbat , romantic memories यहीं हो





..यहीं हो    … २३ /०९/२०१४ 

लम्हा बासी भी  न हुवा था अभी उनके जाने के बाद ,
आई एक महकती मासूम मुलायम मखमली सी हवा 
छू कर मुझे सुबह सुबह समुद्र से निकलती अंजान 
कच्ची धूप की ताज़ी किरन सी उनकी याद ताज़ा करा गई 
उनका भोर में  अलसाया सा  चेहरा 
कमल नयन के किनारे लाल डोरे की नमी 
पीपल के पत्ते से  हवा में झूलते माथे पर बाल 
हरसिंगार के फूल की गुलाबी पंखुड़ी से गाल
और होंठ हो जैसे  उसकी डंठल केसरिया लाल 
आपस में एक दूसरे से शर्मा कर कह रहे हो 

काली घटा सी  गेसुओं में छुपा लो हमें
कही नज़र न लग जाये किसी की ,
खेत में रसीले गन्ने की खड़ी  फसल सी तरुणाई 

महुवे के फूल की मादक  खुशबू के नशे  में चूर 
उनके नाज़ुक बेल सी बाँहों में उलझ कर झूम रहा हूँ 
हाथो की उंगलियां मेरे बालों के बीच इस तरह फसी थी 
जैसे बेल की छोटी छोटी  जड़े पेड़ पर अपनी पकड़ बना  रही हों 
वो मेरा सरमाया है जो चारों तरफ  छाया है 
महसूस करता हूँ वर्तमान काल में 
जब की भूतकाल हो चूका है सब कुछ 
कैसे कहूँ की तुम नहीं हो....... तुम यहीं हो यहीं हो    ............. 

सांसों की ताल , अगन की तृप्ती 
तुम्हारे एहसास में बीते हुवे बिस्तर पर 
मेरे जिस्म के एक एक करवट का आराम हो, 
रात में तुम्हारे ख्वाब को जीने के बाद 
सुबह की अंगड़ाई का मीठा दर्द हो ,
मुमकिन नहीं तुम्हे याद न करूँ हर बार सोचता हूँ 
मगर क्या करूँ तुम मेरे स्वभाव में शामिल हो ,
तुम्हारे न होने के एहसास में 
होने को महसूस कर तिल तिल जी रहा  हूँ ,
ये मेरे मुहब्बत की पराकाष्ठा है 
के तुमपे  मर के ही जी गया हूँ 
कैसे कहूँ की तुम नहीं हो.......हैं  ?  तुम यहीं हो यहीं हो    ............. 

मेरे जिन्दगी का तिनका तिनका
तुम्हारे वफ़ा के जज़्बात के रौशनी से नहाया हुवा है 
और बर्फीली  झील के ठन्डे मीठे की सी 
तासीर  बस गई है बदन  के  रोम रोम में ,
करते हो इश्क़ जिस शिद्दत से
उसके सामने अपने आप को बौना पाता हूँ 
लेकिन इश्क़ इश्क़ होता है ,बस उसकी  अदा अलग होती है 
मुझे अच्छा लगता है तुम्हारे लिए 
मेरा  आवारापन  बंजारापन दीवानपन 
और सारी  दुनियां के लिए पागलपन 
खो रहा हूँ अपना वज़ूद 
तुम्हारे बिना मेरा होश तार्रुफ़ कराती है बेहोशी का  
मत निकालो मुझे इस दरिया से 
मैं  इसी में डूबना  चाहता हूँ 
क्यों की  तुम यहीं हो यहीं हो    ...........कैसे कहूँ की तुम नहीं हो.......













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