मुख्य अतिथि
मैंने ये रचना आदरणीय श्री मलेकर जी के व्यक्तित्व से प्रभावित हो कर रची है,जब वो AHLCON INTERNATIONAL SCHOOL में मुख्या अतिथि बन कर आये थे , उनके बारे में ये रचना सूरज को रोशनी दिखने जैसा है। हार्दिक शुक्रिया श्री अशोक पाण्डे जी का जिनकी वजह मिलना सम्भव हो पाया।
मुस्कुराते प्रधानाचार्य जी से वो कर रहे थे जिरह
बच्चों की प्रतिभा से प्रफुल्लित हो रहे थे
और अतिथियों की तरह ,
और अतिथियों की तरह ,
अमूमन लोग जाते है मुख्या अतिथि बन कर
अनगिनत ख्वाहिशो के साथ ,
कद होगा ऊंचा व्यवहार होगा उम्मदा उनके साथ
नाम होगा उनका गले फूलों का हार
इज़्ज़त नवाजी होगी हाथो में भर उपहार ,
मगर उलट इन सब से देखा इनका व्यवहार
'सेन्टा ' बन बाँट रहे थे तोहफे और प्यार ,
और जब आते है श्रोताओं को करने सम्बोधित ,
करते है मंत्रमुग्ध विचारों से सम्मोहित ,
असहमत उनके बात से कोई एक भी न था वहाँ ,
सहमति जताते बैठे थे लोग जहाँ तहाँ ,
समझ थी उनमे समाज धर्म मानवता और कर्म की ,
ग़र वैसा हो समाज , जो सोच थी उनकी
न होगा कोई दंगा , न होगा कोई फसाद ,
होगी इन्सानियत , फैलेगा भाईचारा ,
ग़र मौका मिले किसी को मुख्या अतिथि बनने का ,
भाव यही होना चाहिए , चाहे घर हो किसी का .......
SUNIL AGRAHARI
MUSICIAN AND POET
CORDINATOR ACTIVITY
AHLCON INTERNATIONAL SCHOO
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