Wednesday 11 March 2015

poem on zindagi, social life's -Kaaran hindi poem कारण - HINDI POEM ON LIFE'S DEFEAT AND WIN , haar jit saflta ki hindi kavita BY SUNIL AGRAHARI

       







         




                      कारण


साम दाम दण्ड  भेद , दुनिया इससे जीतती है ,

जो जीता वही सिकन्दर , दुनिया मुहावरा कहती है 
  कारण चाहे जो भी हो , जीत तो जीत होती है ,

कोई हार गया मुकद्दर से , कोई हारा हिम्मत से ,
 कोई हारा हालातो  से ,कोई औलाद की ज़िल्लत से 
 कारण चाहे जो भो हो  , बाबू हार  तो हार  होती है ,  

भूख रोग दुर्घटना से , कोई मरा ज़लालत बातों से ,
मौत मुफलिसी एक है , कोई मर रहा जज़्बातों से ,
   कारण चाहे जो भो हो  , मौत तो मौत होती है ,

शासन सत्ता इज़्ज़त की भूख , रोटी कपड़ा मकान की ,
आशिक़ को माशुका की ,वारिस भूख खानदान की ,
    कारण चाहे जो भो हो  , भूख  तो भूख  होती है ,  

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