Tuesday 10 March 2015

poem on pyar ,muhabbat, love ,Khoobsurti hindi kavita ,तारीफे हुस्न -खजुराहो मूरत, stri sundarta , yaovan par kavita







खजुराहो मूरत

        

 … तारीफे हुस्न     (१०/०३/२०१५ )         






खजुराहो मूरत सी बोतल में हुस्ने नशा  बेशुमार  है ,
पथरीली सख्त है कारीगरी , मखमल सा एहसास है 
   
बर्फीले बदन से उठता धुआँ , आँखों  में तपिश देता है ,
आग बर्फ में होती है , ऐ  खुदा  क्या  ऐसा होता है ?,

तेरे हुस्न के इस दरिया में ,लगता है कोई डूबा ही नहीं ,
खामोश रवानी कहती है ,वार्ना छूते ही कोई हिलता नहीं ,

तुझे आग समझ मैं दूर रहा , छूना मुनासिब न समझा ,
जलने की ज़िद कर लेता तो, शायद जलने से बच जाता ,

तुझको   छुने  से पहले मैं  सर्द  हवा का झोंका था 
 छू कर उलझा तेरे आँचल से , तूफान जेठ का हो गया। ……













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