Tuesday, 27 October 2015

Hindi kavita rishto par , SAGEY PARAYE HINDI POEM ,सगे पराये - POEM ON RELATIONSHIP

      
*****सगे पराये ***** १९/१०/२०१५ 


रिश्तों की आँधी में अपने पराए हिल गए,
अपने तो ग़ुम , बस पराये ही मिल गए ,

जज़्बाती आँसुओं में अपने ही बह गए ,
पराये ही थे अब तक दिल में जो रह गए ,

उम्मीद  की चाशनी तो अपने चाट गए ,
चालाकी से बड़ी ,अपने पराये कर गए ,

मेरे घर में अपने मेरी इज़्ज़त उतार गए ,
ज़ुबान से नश्तर बन के क़त्ल कर गए ,

हम निवाला हम प्याला वो सब से कह गए,
मुखौटा अपनेपन का  संग उधार ले गए,  





Hindi kavita zindagi ki ,AKELEY HI HINDI POEM अकेल ही - POEM ON LONELINESS

 

               

        ***अकेल ही **२०/१०/२०१५

क्यों ज़रूरी है किसी का होना ,
आये जब दुनियाँ में अकेले ही ,

   दर्द में क्यूँ तू सहारा ढूँढे ,
सहना जब दर्द को अकेले ही ,

न कर इन्तज़ार काफ़िले का तू ,
जब सफर मौत का अकेले ही ,

ना मचा शोर ज़िन्दगी में कभी ,
दफ्न ख़ामोश जब अकेले ही ,

ऐ ख़ुदा तू बता संग किसके रहूँ ,
 साया बिन स्याह में जब अकेले ही ,

Thursday, 15 October 2015

Hindi kavita pyar par , KHWAHISH HINDI POEM, ख्वाहिश, SUNIL AGRAHARI


******ख्वाहिश ******१६/१०/२०१५ 


दिल तड़प की सुरंग में भटकता रहा ,
कि नरम  धूप की  रौशनी बन आओगे ,

दिल इंतज़ार के  दलदल में धसंता  रहा ,
की प्यार की डोर बन दिल खींच  लाओगे ,

ख्वाहिश दिल की रही मुट्ठी भर आसमाँ 
की तरह प्यार दे कर तुम समां जाओगे ,

दिल की धड़कन का शोर टूटा दरवाज़ा सा 
की प्यार से ज़र्ज़र धड़कन रोक पाओगे ,

प्यार को  तेरे चाह  से जाने क्या रंज़ है  
की प्यार को इश्क़ करना सीखा पाओगे 

Tuesday, 13 October 2015

Poem on politics , SIYASAT MAUT KI HINDI POEM,सियासत मौत की - poem on bad politics by sunil agrahari


PUBLISHED IN JANKARI KAAL DELHI MAGAZINE MAY22
******सियासत मौत की******(कटाक्ष)१४/१०/२०१५  


ऐ बुज़दिल मौत के सौदागर ,

तू कफ़न के रंग में रहता है , 
क्यूँ मौत की लीला रचता है  
लाशों पे सियासत करता है , 
ऐ बुज़दिल मौत के सौदागर ..... 

ग़म के दरिया का पानी  

तू पी कर प्यास बुझाता है  
खून से लथपथ लाशों से  
मज़हब बदनाम करता है , 
ऐ बुज़दिल मौत के सौदागर ..... 

इस ज़िन्दादिल  दुनियाँ में ,

तू लाशे पैदा करता  है , 
सोच है तेरी कब्रिस्तान ,
तू खुद को ख़ुदा समझता है 
ऐ बुज़दिल मौत के सौदागर ..... 

लहू उबाल के जनता का 

सरे आम कत्ल करवाता है , 
संगीत सुनाता मातम का ,
शमसान सी राह दिखाता है,
ऐ बुज़दिल मौत के सौदागर .....   

चीर कलेजा अपना तू ,

हिम्मत है तो सच बतला  ,
तेरी ज़ुबाँ लहू  हो जाएगी  
जिससे तू मौत बाँटता है ,
ऐ बुज़दिल मौत के सौदागर ..... 





Sunday, 11 October 2015

Poem on zindagi , life's , KAI BAAR HINDI POEM कई बार - poem on sometimes by sunil agrahari

******कई बार ******९ /१०/२०१५ 


यूँ अँधेरे को ऐसे ना इल्ज़ाम दो ,
लोग उजाले में भी तो भटक जाते है ,

मुफलिसी पे ना तू ऐसे आंसू बहा ,
दौलतमन्द भी भिखारी बहुत होते है ,

कोस कर यूँ मुकद्दर को पायेगा क्या ,
हौसले से मुकद्दर बदल जाते है ,

दूसरों को ग़लत कह के खुद ना बचो ,
खुदबखुद भी तो लोग बहक जाते है ,

ये ज़रूरी नहीं अपनों में अपना हो ,
कई बार ग़ैर भी  अपने बन जाते है ,




Poem on happiness , CHALO CHALEY HINDI POEM चलो चलें - chalo chale hindi poem by sunil agrahari

******चलो चलें ******१२/१०/२००१५ 

चल बग़ीचे गुलों संग बातें करे ,
बहोत दिन हुए खिलखिलाए हुए,

चलो आज खेलें बच्चों के संग ,
मुद्दतोँ से लड़कपन है भूले हुए ,

चलो  भीड़ से आज बाहर चलें ,
बीते दिन कितने खुद संग बैठे हुए ,

चलो आज बचपन की गलियां चले ,
वक़्त बीता बहोत खुद को ढूढ़ें हुए ,

चलो आज दुश्मन के घर चलते है ,
नए दोस्त बनाये बहोत दिन हुए ,

मौत ही है दवा ,चैन से सोने को ,
रात बरसों हुवे ढंग से सोये हुए ,














Monday, 5 October 2015

HINDI POEM on PYAAR प्यार-Poem on love , affection , relation by sunil agrahari



          **** प्यार ***२/१०/२०१५ 

  प्यार पराया करता है , या अपनों से जुड़ता है ,
रिश्तों का रूप अनोखा है , ये मिलता बंटता  रहता है ,

कोई प्यार में जान लेता है ,कोई प्यार से जान देता है,
चाहे अनचाहे रिश्तों में , अपना पराया होता है ,

प्यार में  है फरमाइशें ,मिलन जुदाई की ख्वाहिशें,
ऐतबार ,मुकद्दर रिश्तों का ,सिमटना बिखरना होता है,

सूरत सीरत के रिश्तों में , शबनम भी तराशे जाते है ,
इक ठेस उम्र है  प्यार की , फिर ये कहीं ना टिकता है ,

प्यार में खून का रिश्ता नहीं,ये तो नज़र का धोखा है,
प्यार से  खून हारता है ,प्यार ही खून का रिश्ता है ,