*****सगे पराये ***** १९/१०/२०१५
रिश्तों की आँधी में अपने पराए हिल गए,
अपने तो ग़ुम , बस पराये ही मिल गए ,
जज़्बाती आँसुओं में अपने ही बह गए ,
पराये ही थे अब तक दिल में जो रह गए ,
उम्मीद की चाशनी तो अपने चाट गए ,
चालाकी से बड़ी ,अपने पराये कर गए ,
मेरे घर में अपने मेरी इज़्ज़त उतार गए ,
ज़ुबान से नश्तर बन के क़त्ल कर गए ,
हम निवाला हम प्याला वो सब से कह गए,
मुखौटा अपनेपन का संग उधार ले गए,
रिश्तों की आँधी में अपने पराए हिल गए,
अपने तो ग़ुम , बस पराये ही मिल गए ,
जज़्बाती आँसुओं में अपने ही बह गए ,
पराये ही थे अब तक दिल में जो रह गए ,
उम्मीद की चाशनी तो अपने चाट गए ,
चालाकी से बड़ी ,अपने पराये कर गए ,
मेरे घर में अपने मेरी इज़्ज़त उतार गए ,
ज़ुबान से नश्तर बन के क़त्ल कर गए ,
हम निवाला हम प्याला वो सब से कह गए,
मुखौटा अपनेपन का संग उधार ले गए,