***भरोसा***
किसी का हाथ छूट न जाय
किसी का साथ छूट न जाय
कर लो गुफ्तगू सब से
कही ये सांस छूट न जाय
रखो न मन मे कोई बात
न खेलो दिल से शाह और मात
वख्त हुआ बड़ा काफिर
कही ये वख्त निकल ना जाए
सांसो में मौत चीख पुकार
रिश्ते हो रहे हैं बेज़ार
शहर में अपने बहुत मेरे
बिछड़ अपने कहीं न जाय
किसी का साथ छूट न जाय
कर लो गुफ्तगू सब से
कही ये सांस छूट न जाय
रखो न मन मे कोई बात
न खेलो दिल से शाह और मात
वख्त हुआ बड़ा काफिर
कही ये वख्त निकल ना जाए
सांसो में मौत चीख पुकार
रिश्ते हो रहे हैं बेज़ार
शहर में अपने बहुत मेरे
बिछड़ अपने कहीं न जाय
दवा से हो रहे महरूम
दुवाओ का सहारा है
हुआ ग़ुम दुआ दवा के बीच
दवा नकली निकल न जाय
नहीं ईमान की कीमत
गिद्ध फिर आज हुए काबिज़
कब्र में लाशों को चिंता
कफ़न चोरी न अब हो जाय.
वख्त की लाल आँखो में
भरा है ख़ौफ़ का मंज़र
सम्भल जा ओ ज़रा सुनील
कहीं दुनियाँ निगल न जाय ।
कब्र में लाशों को चिंता
कफ़न चोरी न अब हो जाय.
वख्त की लाल आँखो में
भरा है ख़ौफ़ का मंज़र
सम्भल जा ओ ज़रा सुनील
कहीं दुनियाँ निगल न जाय ।
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