जानकरी काल पत्रिका अगस्त 2021 में प्रकाशित
****फर्क तो पड़ता है****
सागर में एक बूंद गिरे,साहिल को क्या फर्क पड़ता है,किसी को पता चले न चले,सागर को फर्क तो पड़ता।
अनाज सड़े गोदामो में,निज़ाम को क्या फर्क पड़ता है,
अमीरो को क्या पता चले,गरीबों को फर्क पड़ता है।
झूठे सियासी वादों से,नेताओं को क्या फर्क पड़ता है,
सियासत को क्या पता चले ,जनता को फर्क पड़ता है।
दुःख में संग किसी केहो ,ग़म को क्या फर्क पड़ता है,
मुसीबत कम ना हो चाहे,फ़िगार को फर्क तो पड़ता है।
फ़िगार- दुखित व्यक्ति
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