Wednesday 19 May 2021

Hasya vyngya hindi kavita ,poem on Dhokha, hindi poem bhram ,धोखा हिंदी कविता, hindipoems@sunil agrahari











***भ्रम*** 

बादल गरजे ऐसे की जाने कितनी वर्षा होगी 
पानी बरसा ऐसे के,बूँद भी गीली हुई नही 

बातें उसकी ऐसे के ,सारी पोथी पढ़ ली होगी
हरकत उसकी ऐसी के,नादाँ से बड़ा हुआ नहीं 

था इतना 
मशहूर, के उसे दुनियाँ जानती होगी  
निकला वो अन्जान, के उसे पड़ोस का भी पता नही

डील डौल था इतना, के पत्थर पंजीरी कर देगा
पतंग के संग वो उड़ गया, ऐसा हल्का देखा नहीं  

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