जनकारी काल पत्रिका जुलाई 2021 में प्रकाशित ।
***ज़रूरी तो नहीं***
सबक ले गलतियों से लोग, ये ज़रूरी तो नहीं ।
अपनी कमियों से ,हाथ की लकीरे शरमाँ जाएं
कमियों को शरम आये ,ये ज़रूरी तो नहीं।
सच्चे मन से करो दुआ ,तो वो कुबूल हो जाये
मगर मन सच्चा हो सबका, ये ज़रूरी तो नहीं।
करो नेकी सब के साथ,सफल ये जन्म हो जाये
दोबारा जन्म हो इंसा का ,ये ज़रूरी तो नही ।
Thanks sir for this poem
ReplyDeleteSreyas Potula
Class VIII-D
thank u soooo much
DeleteBeautiful choice of words sir.
ReplyDeleteKanu Supriya
8D
Sir, the poem is so beautiful and the selection of the words in awesome
ReplyDeletethank u soooo much
ReplyDeleteAmazing sir really awesome
ReplyDeleteSir I loved this poem as this poem is totally right
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