Friday, 25 October 2013

हो गया ( व्यंग्य ) - hindi poem on politics , poem on corruption

      ……… हो गया ( व्यंग्य  )……


जानता का कैसा  बुरा हाल हो गया 
दुस्शासन जैसे शासन का हाल हो गया 


कार खरीद कर मै बेकार हो गया 
पेट्रोल की भराई  से बीमार  हो गया 
जानता का कैसा………………… 

 दाम सुन बादाम का बेदाम हो गया
कौड़ी  पैसा  रूपया  छदाम  हो गया  
जानता का कैसा   …………………

प्याज के कमाल से धमाल हो गया 
हाल आम आदमी का बेहाल हो गया 
जानता का कैसा  …………………… 

रूपया की कीमत से बवाल हो गया 
डॉलर धोती , रूपया  रुमाल हो गया 
जानता का कैसा …………………… 

जी हज़ूर  कर ,सूख  खजूर  हो गया
सच  बोलना भी अब कसूर हो गया
जानता का कैसा ……………………


देश में धरम का भरम हो गया 
रम पी के जैसे बेशरम हो गया 
जानता का कैसा  ……………………



Friday, 4 October 2013

तृष्ण -कविता , hindi poem on love

  

                 ………… तृष्ण  ………


कश्ती के निशां  मै  ढूंढ रहा 
दरिया के हिलते पानी में ,
है पता मुझे न मिलेगा तू , 
पर तलाश रहा नादानी में 



खुशबू सी तेरी आती है , 
मै सांस रोक रुक जाता हूँ ,
हर सूरत में तू दीखता है , 
हरकत करता बचकानी मै ,

कान मेरे बजने लगते  
इक आहट सी आ जाती है ,
दिल करता है इन्तज़ार तेरा 
अपनी इस नई कहानी में ,

ज़ेहन में जब से आये हो,
रीते  पल न मिले मुझे ,
सवाल तेरा जब आता है ,
करता हूँ आना कानी मै 


मै समझ न पाया अब तक क्यूँ ,

मन मृग तृष्णा बन भाग रहा 
क्या सब ऐसा ही करते है 
मेरी तरह जवानी में ?

1-रीते पल = खाली समय 
2-तृष्णा = प्यास 









Patthar ka dharm hindi poem ,पत्थर का धर्म- hindi poem on religion - sunil agrahari

                     






Published in  Mauritius 
Magazine - Akrosh
October 16
....पत्थर का धर्म ......
  
तुम कौन हो ये जो पूछते हो,
किस जात के हो किस धर्म के हो,
वो पत्थर तो खामोश है,
तू जिसकी इबादत करता है ,

एक शिला के टुकड़े टुकड़े कर
बना दिया एक गिरजा घर
फिर कुछ टुकड़े नक्काशी कर,
उसे सजा दिया मकबरे पर

क्या वो आपस में लड़ते है,
तू हिन्दू  है तू मुसलमाँ  है ?
तू सिक्ख है तू इसाई  है ?
हाय रे ये कैसी खुदाई है ?

जिस इन्सां में जान है  ,
तू उनको पत्थर मारता है,
जिस पत्थर में जान नहीं ,
तू उनमे जान ढूढता  है,
फिर इन्सां तू कहता है  , 
पत्थर में जान नहीं होती,
ये बुत तो केवल पत्थर है ,  
फिर तू क्यूँ सजदे करता है ?

तू फूलों से कुछ सीख ले ,
एक ही पेड़ में खिलते हैं
फिर सभी धर्मो में जाते हैं
तेरे दिल की बात को  ,
तेरे पीर तक पहुंचाते है ,
वैसे ही एक शिला के पत्थर 
रूप लेते घिस कट कर 
फिर धर्म में शामिल होते हैं 
हर धर्म की इबादत के खातिर ,
पत्थर ही कुर्बान होते है,
वो फिर भी नही झगड़ते हैं

कोई फ़र्क नहीं धर्मो के बीच,
कोई नर्क नहीं कोई स्वर्ग नहीं,
ईश्वर है सच्चे रिश्तों में ,
कोई कौम नहीं कोई जात नहीं ,
ये धर्म नहीं ये सियासत है ,
जिसके लिए तुम लड़ते हो,
मज़हब तो प्यार सिखाता है
जिसे तुम नहीं समझते हो।

सुनील अग्रहरि 
अध्यापक -संगीत (coordinator activity department )
एल्कॉन इंटरनेशनल स्कूल 
मयूर विहार -फेस -१ 
दिल्ली -९२ 
मोबाइल न. 7011290161


  

Thursday, 3 October 2013

सवाल खड़ा होता है -कविता , life's problems hindi poem

              

आया है वक़्त कैसा ,
भरोसा नहीं किसी का ,
हर बात बात पे अब  
सवाल खड़ा होता है 

''मिड डे मील '' से मीलों मील

 भागे गरीब बच्चा ,
 ऐसे पोष्टिक आहार पे 
सवाल खड़ा होता है 

जनता के हक़ का ,

हक़दार नेता अफसर 
ऐसे घोटाले बाजों पर
सवाल खड़ा होता ,

गरीबी मिट सके न 

गरीब ही मार डालो 
ऐसे जन हित योजनाओं पे
सवाल खड़ा होता है 

मै  हूँ देशप्रेमी  
जनता का सच्चा सेवक 
नेताओं के इस बयान पे
सवाल खड़ा होता है ,





बेवक्त बेबुनियाद ,
कब बन्द होगा जवाब 
ऐसे ही सवाल पर 
 सवाल खड़ा होता है ,



सच्चाई दफ्न  कर के ,जब झूठ खड़ा होता है 
गरीबों की थाली में जब अन्न सड़ा  होता 
घोटाले में शामिल जब नेता बड़ा होता है 
गुनाहगार बेगुनाही के सुबूत पे अड़ा होता है 
जब थक के चकना चूर , ईमान  पड़ा  होता है 
ऐसे  पापी लोगों का चिकना  घड़ा होता है  
ऐसे ही हालातो में सवाल खड़ा होता है 
ऐसे ही सवाल पर  सवाल खड़ा होता है
ऐसे ही सवाल पर  सवाल खड़ा होता है 














Upaay hona chahiye hindi poem ,kisano ke liye hindi kavita उपाए होना चाहिए- hindi poem for farmers ( kisan ) problems by sunil agrahari , kisano ki samasya par hindi kavita

   

 

Published in  Mauritius 

Magazine - Akrosh

November 17         


रक्षक ही भक्षक आज बन गया देश का ,
देश को बचाने वाला अक्षत एक चाहिए ,
सालों साल देश को आज़ाद हुए हो गए ,
ग़रीबों और किसानों को भी हक़ मिलना चाहिए। 

भूखों और गरीबों पे तो बातें  बहोत हो गई ,
भिखारी और लाचारी पे किताबें बहोत हो गई 
फिल्में बना के इनपे कितने अमीर हुए ,
अब इनकी भी अमीरी का उपाय होना चाहिए 

भूख की तड़प से भूखा पेट मर रहा ,
उनका अनाज भीगे रखे सड़ जाता है ,
अन्नदाता भूखों का खुद महलों में रहे क्यूँ ,
अब भूखों और अनाज को भी  छत एक चाहिए ,

जिन्हें हाथ जोड़ तुम संसद गए नेता जी ,
भूले तुम क्यों उस भोली जनाधार को ,
पहले टहलते थे खुलेआम सड़को पे ,
अब उनके बीच तुम्हें गार्ड एक चाहिए ,

अन्न का दाना आज रो कर कह रहा ,
मुझको  उगाने वाला भूखों पेट पर रहा ,
किसान ना रहा तो दुनियाँ ना बच पाएगी ,
किसानों को बचाने का उपाय होना चाहिए ,
सुनील अग्रहरि 

Tuesday, 24 September 2013

Dangon par hindi kavita , @sunilagrahari

            






*****आया हूँ*****AYAY HUN 


दंगो के बाद तेरा मै अब दर्द बाटने  आया हूँ 
मौका है अच्छा सियासते मरहम लगाने आया हूँ 

तेरे जले हुवे घर के खातिर ,सरकारी पैसा आएगा 
उस पैसे में अपना भी हिसाब  लगाने आया हूँ 
मौका है अच्छा सियासते मरहम लगाने आया हूँ 

क़त्ल हुवे लोगो के खातिर सरकारी कफ़न जो आएगा 
उस कफ़न से कपड़ा काट अपना कुर्ता सिलवाने आया हूँ 
मौका है अच्छा सियासते मरहम लगाने आया हूँ 

दंगा पीड़ित  भूखो का जो राशन जो ट्रक भर आयेगा 
उस राशन को फिर वापस बाज़ार में बिकवाने आया हूँ 
मौका है अच्छा सियासते मरहम लगाने आया हूँ 

दंगों में बेगुनाह गिरफ़्तार करवा के ज्यादा फिर 
करवा की उनकी रिहाई  वोट पक्का करने आया हूँ 
मौका है अच्छा सियासते मरहम लगाने आया हूँ 

कुँए में है आधी रस्सी , चुल्हा भी अध् जला है 
इस दंगे की आंच में अपनी रोटी सकने आया हूँ 
मौका है अच्छा सियासते मरहम लगाने आया हूँ 


जब  शांति बहाल हो जायेगी ,तो मुझको कौन पूछेगा 
इस लिए तेरे जख्मों पे नमक लगाने आया हूँ 
मौका है अच्छा सियासते मरहम लगाने आया हूँ 

तेरे दर्द से मुझको क्या लेना ,तू पैदा हुवा दंगों के लिए 
मै पैदा हुवा सियासत के लिए ,सियासत करने आया हूँ  
मौका है अच्छा सियासते मरहम लगाने आया हूँ   

POEM ON POLITICS , POEM ON SIYASAT , POEM ON DANGAA, POEM ON COMMUNAL RIGHT RITES  
    

danga par kavita dekha hai maine - COMMUNAL RITES hindi poem @sunilagrahari

                         








……देखा है मैने… … … …

दंगों  की  सुलगती  आग को ,आसुवों  से बुझाया है मैने
    एक  मासूम को ,दंगों  का,समान बनते   देखा है ,

बचपन मे जिंनके संग खेला,वो खंज़र ले कर घूम रहे
बिन मतलब के इन दंगों मे,रिश्तों का  कत्ल   देखा है ,

वो वहशी, कत्ली  कब  बन गया ,ये उसको भी न पता चला 
अपनों के गुम  हो जाने पर ,उसे खड़ा बिलखते देखा है
माँ मिली ,बहन गायब घायल बेटा ,बाप गायब,
 ऐसे भरे कुनबे को,टुकड़ो में मिलते देखा है 
बही धार  जो आखों से ,वो अब तक न सूखी है 
डरे सहमे से  बच्चों को ,आँचल में छुपाते देखा है
बच्चों को कुछ पता नहीं क्यूँ मर रहे क्यूँ मार रहे 
उन छोटी छोटी आँखों में,एक  बड़ा सवाल  ? देखा है
बेटे की मौत के मातम पर ,बूढ़ी  आंख सिसकती है 
खुद के  जिंदा बच  जाने पर ,मौत को कोसते देखा  है 

मैंने ना बिगाड़ा कुछ तेरा ,अन्जान  है हम एक दूजे से
पाँव पडू मत मार मुझे,भीख रहम की माँगते देखा है 

जिसके कहने पे फसाद किये ,वो घर पे महफूज़ बैठा  है 
ऐसे सियासी बलवाइयों को,सब ने आँखों से देखा है  

कौमी मजहबी दंगो ने ,जी भर  एक दूजे को काटा 
लेकिन हर मजहब के लहू का,रंग एक ही मैंने देखा है .. 
रंग एक ही मैंने देखा है ..X3.......   
  
POEM ON POLITIC IN HINDI  , POEM COMMUNAL ON RITES ,
DEKHA HAI , POEM ON DANGAA








             

Wednesday, 4 September 2013

गुरुर्  ब्रम्हा गुरुर् विष्णु गुरुर् देवो महेश्व्रह् : ,
गुरुर् साक्षात्  परब्रम्ह , तस्मै  श्री गुरुवे नमः ,

आप सभी  अध्यापक गण को अध्यापक दिवस
की बहोत बहोत शुभ कामना। 

Thursday, 22 August 2013

टीचर्स आरती - hindi funny poem on teachers













त्व मेव   n t t ,  p r  t त्वमेव ,
त्वमेव    t  g  t ,  p g t    त्वमेव ,
त्वमेव   dr  ,   phd    त्वमेव
त्वमेव  brilliant   ,  फिसड्डी   त्वमेव

ॐ जय प्रभु , गुरु देवा। ...  2
जो तुम्हारी करे सेवा  - २
वो खाए  मेवा। …… ॐ जय। ……।

टीचिंग तुम्हारा talent
जग सारा जाने। …।प्रभु जग सारा जाने
फिर   भी  तुम्हारी  कोई x २
बात नहीं माने। ……। ॐ जय। ………


गुरु है अद्भुत प्राणी ,
वो gate duty  करे,…।प्रभु तुम   gate duty  करे
तुम हो  t  o d  में  पारंगत x २
तुम ही बस ड्यूटी करे।  ॐ जय। ………


तुम हो एक  क्लास टीचर 
तुम सब्जेक्ट टीचर ,…।प्रभु तुम  सब्जेक्ट टीचर
फिर भी  इज्ज़त जैसे  x २ 
कोई हो कैरी कैचर  ……। ॐ जय। ………


सब से ज्यदा तुम पर 
लोग रिसर्च करे …।प्रभु तुमपे  रिसर्च करे 
बड़े बड़े ज्ञानी आ कर 
तुम पर वर्कशॉप करे  ……। ॐ जय। ………


हरदम भागते रहते 
फिर भी कभी न थके ।प्रभु तुम कभी  न थके 
पैसठ  उम्र हो चाहे x २ 
फिर भी पैतीस लगे   ……। ॐ जय। ………


चाहे जैसी हो वर्कशॉप
हंसी ख़ुशी attend  करे  ।प्रभु  ख़ुशी से  attend  करे
बाहर जाकर चाहे  x २
कोसे काना फूसी करे  ……। ॐ जय। ………


जो काम कभी न किया हो
उसे भी बखूबी करे , प्रभु  उसे भी बखूबी करे
घर में चाहे आता  हुवा  x २
काम को मन करे   ……। ॐ जय। ………


mgrm   software
तुमसे घबराता , प्रभु तुमसे घबराता
जैसे कार्ड  enter    ये करते  x २
वो hang  हो जाता  ……। ॐ जय। ………


कष्ट तुम्हे तब होवे
जब छुट्टी कोई sunday  को पड़े , जब छुट्टी कोई sunday  को पड़े,
second Saturday साढ़े साती लगता  x २
जब उस दिन आना पड़े   ……। ॐ जय। ………



वो प्राणी है अभागा
जिसपे तेरी कृपा न पड़े , प्रभु जिसपे तेरी कृपा न पड़े,
तेरी ही अच्छी शिक्छा से x २
हर कोई आगे बड़े ……। ॐ जय। ………




Deshpremi kalyugi ,Poem on politics corruption and leaders poem , ,कलयुगी देश प्रेमी हिंदी कविता,

              










देश प्रेमी कलयुगी नेता तुझे शत  शत नमन 
देश की सेवा के खातिर कर चुके कितने गबन ,

जीते जिस दिन से चुनाव ,चाल टेढ़ी हो गई ,
खाल पतली थी जो पहले ,अब वो मोटी हो गई  

तुम सियासत का कभी , मौका नहीं हो चूकते ,
   धर्म को तरबूज़  जैसे ,काटते और  बांटते ,

काले धन के तुम हो स्वामी, श्वेत वस्त्र धारण करो ,
लूट कर जनता का पैसा , जेब खानदान  की भरो ,

जब भी सोचा है तो सोचा , सिर्फ अपना ही  भला ,
ढीठ और बेदर्द बन कर, दबाते जनता का गला ,

कोई चाहे मर रहा , तुम अपनी रोटी सेकते ,
मौलवी पंडित लड़ाकर ,चैन से खुद बैठते ,

तुम कुकुरमुत्ते से प्राणी हर जगह उग जाते हो ,
पार्टी का रंग कैसा भी हो ,उसमे तुम मिल जाते हो ,

गणित आप की चमत्कारी , दो  दूनी  होता है छह ,
   भ्र्स्टाचारी दुराचारी , चमचे है आगे पीछे ,

दुनियां को ठगने की तुममे , है गज़ब प्रतिभा भरी ,
खेत में ग़र सूखी घास हो ,तुमको दिखती है हरी ,

रूप अनंत महिमा अनंत , गाथा अनंत कितना कहूं ,
देश की जनता कहे के ,अब तुम्हे कितना सहूँ ,

जैसी करनी है तुम्हारी , तुम भी ना बच पाओगे 
स्वर्ग तो तुम जी चुके हो , नर्क में अब जाओगे। 











अच्छा हुवा - कविता , one side love hindi poem

    

कितना अच्छा हुवा ,कुछ ना तुमसे कहा
मन में डर है कही खो ना  दूँ  तुमको मै
सामने जब मेरे रोज़ तुम  आते हो
सोचता हूँ बयां कर दूँ हाले दिल मै

क्या ये है गुनाह ? कह नहीं पाता  मै ,
या ये है गुनाह के कुछ न कह सका
जो है मुझको पसन्द ,जो मै  करता हूँ
वो है तुमको पसन्द  ,तुम भी वो करते हो
फिर भी न जाने क्यूँ डरता हूँ कहने से
जब की सोचते है हम एक, दूजे की तरह ,
तू मेरा है भी नहीं ,फिर भी खोने का ग़म
कैसा है रे ये दिल तुझको अपना लिया ,
कितना अच्छा हुवा  ………। 
अब मिलोगी तो  तुमसे   ये कह दूंगा ,
जब मिलोगी तुम हमसे ,मै  वो कह दूंगा
इस तरह के ख्याल आते ही रहते है
आप के नाम से सवाल उठाते ही रहते है
 हम आप के  हँसी मुस्कराहट से,
अपने दिल को यूँ ही बहला लेते है
सोचता हूँ की एक दिन तुम समझ जाओगी
शायद कह दोगे तुम जो मुझे लगता है
मगर सोचते सोचते बरसों हो गए
जैसे हो परसों की बात हो  यूँ लगता है
"तुमको पाना मेरा मकसद  नहीं
मै  तो तुमको सिर्फ जीना चाहता  हूँ ",
अच्छा ही हुवा तुमने भी कुछ न कहा
इस उहा पोह में ज़िन्दगी कट जायेगी
कितना अच्छा हुवा कुछ न तुमसे कहा ………
                                                           सुनील अग्रहरि


  

Thursday, 9 May 2013

Dharm ki patni hindi funny vyangya kavita , धरम की पत्नी-कविता -patni kavita vyangy, hindi funny poem on wife's

सुन सुन मेरी सास री ,
अब मेरा निकला दम,
कह के भेजा फुलझड़ी ,
निकला वो एटम बम ,

उससे कैसे निभाऊ
उसको समझ न पाया ,
मै बदला उसके खातिर ,
पर उसे बदल न पाया ,

सुन कर उसकी बात
मुझे जब गुस्सा आता ,
कहती है न शोर करो
 मेरा दिल घबराता ,


कहती है न शोर करो
shopping पर जाना है
exchange offer में आज
बदल कर कुछ  लाना है ,


जानू , ए  जी सुनते हो
कह के प्यार जताती
मतलब पूरा होते  ही
राशन पानी ले चढ़  जाती ,

कसम से मै  तो हिल जाता  हूँ ,
रूप देख कर ,
गिरगिट भी क्या  रंग बदलेगा
mood देख कर ,


hidden talent की खान है
मेरी बीवी भाई ,
पता नहीं कुछ भी लेकिन
बहस पूरी है भाई ,


am pm  time  से
उसका नहीं है लफड़ा
जब जी चाहे उसका
 मुझसे करती झगड़ा


boss के  room   में  जब
मेरा phone  बजता है भाई ,
डर  जाता  हूँ phone पे
बीवी प्रकट  तो नहीं हो आई ,

boss  मुझे कहते है ज़रा
अपना project  तो समझाना ,
उस समय   बीवी phone पे  कहती है
5 रूपए की दही ले आना ,

5 रूपए की दही ले आना
आज कढ़ी खानी है ,
घर आना जल्दी तुम ,
market से दाल बड़ी लानी है ,

दाल बड़ी लानी है घर
कल आएगा भाई
छूट गई है  नौकरी उसकी
अब यही रहेगा भाई ,

बस हो गया  कल्याण
मेरा घर आया साला ,
करो उसका सम्मान
जैसे अफसर हो आला ,

पाँव उठा कर देती
कहती पैर दबाओ
वर्ना ब्यूटी पार्लर से
घर तक रिक्शा चलवाओ ,

अगर सुखी जीवन
जीना चाहो तुम दोस्त
बन जाओ बोवी  के
घर  जाकर  host ,

कहो के beautiful है
मेरे साला साली,सुन कर
बीवी हो जाएगी गुलाब
चाहे हो    जामुन काली ,

कहते है .....................

शादी बिन जीवन नहीं ,
जीवन नहीं बिन शादी ,
जान बूझ कर होश हवास में
करनी पड़ती है  बर्बादी ,


नोक झोंक कर  लड़ते रहते ,
एक ही  छत के नीचे ,
फिर भी  नही वो रह पाते है
एक दूसरे से आँखे मीचे,








Sunday, 5 May 2013

abhi to ye angadai hindi geet अभी तो ये अंगड़ाई - motivational song , inspiring song by sunil agrahari

                       

come on come on , lets move your  body 
come on come on,  now shake your  body 
come on come on, now  run  your body 
we  will  win the game , ye ye shake  it 

अभी तो ये अंगड़ाई है ,मन में आस जगाई  है ,
मुश्किलें चाहे जीतनी  हों ,हमने राह बनाई है ,


चाहे आंधी हो ,चाहे तूफान हो ,
मेरी चाहत को वो न उड़ा पायेगा ,
चाहे राहों में कांटे हो बिखरे मगर ,
मेरे कदमो को वो न डिगा  पाएगा ,
अभी तो ये अंगड़ाई है ...................................


come on come on , lets move your  body 
come on come on,  now shake your  body 
come on come on, now  run  your body 
we  will  win the game , ye ye shake  it 



 इस जहाँ में अँधेरा  कहीं पर न हो ,
चल पड़े है मशालों को ले कर के हम
अपने वादों से पीछे हम हटते नहीं
कह दिया हमने जो वो निभाते है हम
अभी तो ये अंगड़ाई है ...................................


come on come on , lets move your  body 
come on come on,  now shake your  body 
come on come on, now  run  your body 
we  will  win the game , ye ye shake  it 


आगे बढ़ कर के पीछे हम हटते ,
खाली  बातो से हम पेट भरते  नहीं,
हौसला है बुलंद ,जीत जायेगे हम,,
जीत मंजिल से पहले हम रुकते नहीं ,
अभी तो ये अंगड़ाई है ...................................


come on come on , lets move your  body 
come on come on,  now shake your  body 
come on come on, now  run  your body 
we  will  win the game , ye ye shake  it 



Friday, 3 May 2013

पंगा न लेना - motivational song , young generation song , sunil agrahari hindi poem

 

                                                             
  पंगा न लेना ,प् प्  पंगा न लेना
  पंगा न लेना,प् प् पंगा न लेना ....................5 

काम का तेरे कद हो ऊंचा लोग कहे क्या hight  है
काम करो computer  जैसे ,speed mega  bite  है 
हवा का सीना चीर के   ऊंचा ,उड़ाते जैसे kite है
देता हूँ  performance ऐसी ,सब की हवा tight है ,
पंगा न लेना ,प् प्  पंगा न लेना
,पंगा न लेना,प् प् पंगा न लेना ........................5 


problem को  कुछ भी न समझते 
सीधा सा funda अपनाते 
श्रीमान महोदय कह कर 
प्यार से उसको पास बुलाते 
हाथ पकड़ ले जाते side  
पर उससे नहीं करते fight 
problem  का  solution दे कर 
कर देते है उसको  hide ,
पंगा न लेना ,प् प्  पंगा न लेना
पंगा न लेना,प् प् पंगा न लेना   ...................5 


काम करो भाई  day n  night 
you will  get your  future bright 
name  fame मिल जायेगा 
but  keep  your mood  very  light ,
use करो system  को ऐसे 
लोग कहे हमे कर दो guide ,
आगे पीछे दुनिया सारी 
कहेगी तुमको very right 
पंगा न लेना ,प् प्  पंगा न लेना
पंगा न लेना,प् प् पंगा न लेना  .............................5