Sunday 4 November 2018

Poem on kisaan , Bada juaari , POEM ON CORRUPTION -बड़ा जुआरी







Published in Mauritius 
Magazine - Akrosh 
February 19

हाँ जुआरी हूँ मैं , सब से बड़ा जुआरी ,
बरसात से जुआ खेलता हूँ ,
अपनी पहली ही चाल में 
पत्नी के मंगलसूत्र गिरवी रख 
सब कुछ पसीने की बूँद के साथ 
खेत मिटटी की बिसात पर 
बड़ी मेहनत से डाल आता हूँ, 
फिर बरसात की चाल का 
करता हूँ इंतज़ार,
हारता हूँ मै पांडवों की तरह, 
बरसात करती है मेरा चीरहरण 
दुस्साहसन की तरह,
लाज अपनी बचाने को 
करता हूँ कृष्ण का इन्तज़ार ,
लेकिन आती है तो सिर्फ मौत ,
वो भी एक अन्नदाता की ,
एक भारतीय किसान 
मरते मरते सोचता है ,
ऐ सुनील  ..... 
काश मेरे भी मामा शकुनि होते 
बैंक का क़र्ज़ रफ़ा दफ़ा कर देते 
खेत मेरा भी लहलहाता ,
कमज़ोर ,बुज़दिल ,भिखारी अन्नदाता 
मैं नहीं ,इज़्ज़तदार किसान कहलाता। .........        ०५/११/२०१८


Wednesday 31 October 2018

HOLI GEET by sunil agrahari - होली गीत

HINDI SONG ON HOLI FESTIVAL 





***होली गीत ***

धीरे धीरे रंग डारो सावरिया , भीगे चुंदरिया  मोर ,

मैं  दधि बेचन जाट वृन्दावन -२ 
रोकी डगरिया मोर रे सजनवा , 
धीरे धीरे रंग डारो सावरिया  , भीगे चुंदरिया  मोर........ 

दधि  मोरी खाई मटकि मोरी फोरि -२ 
दीन्हि चुनरी फॉर रे सजनवा , 
धीरे धीरे रंग डारो सावरिया  , भीगे चुंदरिया  मोर........ 

बरजौ यसोदा मइया अपने ललन को -२ 
काहे करात बरजोरी सजनवा , 
धीरे धीरे रंग डारो सावरिया  , भीगे चुंदरिया  मोर........ 

कबहुँ आइयो बरसाने गली में-२ 
लेवै खबरिया  तोर हो सजनवा , 
धीरे धीरे रंग डारो सावरिया  , भीगे चुंदरिया  मोर........ 








Monday 29 October 2018

POEM ON PULWAMA SAHEED SIYASAT AUR SAINIK -HINDI POEM ON PULWAMA SAHEED BY SUNIL AGRAHARI- -सियासत और सैनिक

   






*****सियासत और सैनिक *****


पुलवामा शहीदों  को 
शत शत नमन.  . . . . . . . . .  .   

मौत होती सैनिकों  की,
दुश्मनों की गोली से एकबार ,
वीभत्स मौत तो होती है 
नेताओं की बोली से बार बार, 

बैठ सुरक्षा  घेरे में 
सैनिको पर ऊँगली उठाते हो ,
सियासत शहीदों पर कर के 
खुद को देश भक्त बताते हो, 

सीमा पर जंग करने की 
हिम्मत हो तो आओ एक बार ,
दिल दिमाग फट जायेगा ,
सुन कर मौत की चीख पुकार ,
सियासत तेरी चमकती रहे 
पैदा करते हो पत्थर मार ,

शहीदी तोहफ़े त्योहारों पर 
हम कफ़न ओढ़ घर लाते है ,
आँसू वाले खारे शरबत  
घरवाले पी जाते है ,

हर पल ऐश से जीने को 
तुम घर से रोज़ निकलते हो ,
ठंडी हवा के झोंकों में 
सुकून की साँसे लेते हो, 
जब चाहे जहाँ चाहे 
तुम करते लीला मंगल ,
चौबीसों घंटे मौत से हम 
जंगल में करते दंगल ,
चैन से तुम घर सो सको 
हम ख़ुशी से मर के जीते है ,
तेरी नमक हराम बातों से 
गहरे ज़ख्मो को सीते हैं ,

मेरे माँ बाप पत्नी और बच्चे 
करते रहते हैं  इंतज़ार ,
मिलने का वादा उनसे 
टूट जाता है बार बार  ,

कैसे कहूँ सुनील, 
शहीद हुए हम बॉर्डर पर 
लाशें ग़ुम  हुई  कितनी बार ,
शहीद की फोटो खबरें बन कर   
बिकते घर घर गली बाज़ार ,
घाव खून बदन के टुकड़े  
आते टी वी के खबरों में,
बहुत ज़्यादा ढूढ़ मची तो 
मिल जाते  है हम कब्रों में,
गया था  ज़िंदा घर से  मैं 
वापस आया बन कर अखबार ,
रह गई मन में एक कसक
काश मिलता सब से एक बार ,
नेताओं की नीच सियासत से 
श्मशान बना मेरा घर द्वार ,
हवन सामग्री बन हम जलते हैं 
नेताओं का होता रहा  उद्धार। ....... 











Poem on life's jiwan sacchai , SACH JHOOTH HINDI POEM ON TRUE AND FALSE- BY SUNIL AGRAHARI-सच झूठ






*****सच झूठ *****

काले को काला मत कहना ,
लोगो को बुरा लग जायेगा ,
गलती से सच को मत बोलो, 
तेरा वक़्त बुरा आ जायेगा ,
आईने में देख आँखों को  
कुछ पल को मै वही ठहर गया 
खुदा ने सब की आँखों में 
सच झूठ का रंग भर दिया

झूठ की तस्दीक़ के लिए 
पुतली काली कर दिया 
फिर सच का रंग सफ़ेद 
चारो तरफ फैला दिया 
सोचने समझने का जिम्मा 
हम इंसानो को ही दे  दिया 
की 
देखे हम काला, या देखे सफ़ेद 
देखे हम सच , या देखें फरेब 
फिर 
वकील साहब की ड्रेस पर  
ध्यान मेरा गया ,
काले सफ़ेद का भेद  मुझे 
समझ आ गया ,
वकील साहब ने सफ़ेद शर्ट के ऊपर 
काला कोट पहन रक्खा है ,
जैसे सच को झूठ ने ज़ोरों से जकड रक्खा है , 
भला हो उस छोटी सी कण्ठ लगोंट (टाई ) का 
जिसने सच्चाई की आवाज़ का परचम 
गले से पकड़ रक्खा है ,
क्यों की एक दिन 
जीत सच्चाई की ही होती है 
ये हम सब को  बता रक्खा है।            16 /09 /2018 









Sunday 21 October 2018

HINDI KAVITA ON PUNJAB DASHAHARA -पंजाब का रावण


अमृतसर दशहरा के रावण दहन रेल हादसा में मारे गए लोगों को मेरी श्रधांजलि कविता । 

HINDI KAVITA ON PUNJAB DASHAHARA 

*****पंजाब का रावण *****  १९ /१०/२०१८  night 11pm

रावण की मौत का जश्न मानाने 
लोग घर से साबुत आये थे ,
रावण जल कर ख़ाक हुआ
अब वो टुकड़ो में वापस जाएंगे 
वो नेता फिर बच जायेंगे 
फिर मुआवज़ा बट जायेगा 
ज़ख्मों पर मरहम लग जायेगा 
सियासत गरम हो जाएगी 
थोड़ी राजनीत हो जाएगी 
इल्जामों की बारिश आ जाएगी 
जाँच बिठा दी जाएगी 
जश्न मानाने आये थे 
मौत खरीद ले जायेंगे 
लेकिन वो शिकार हादसों का वोटर
 फिर वापस कभी ना आएगा 
ऐ सुनील 
फिर से दशहरा आएगा 
रावण  फिर जल जायेगा 
ऐसे हादसों का रावण 
फिर ज़िंदा बच जायेगा 
कोई अनाथ हो जायेगा
कहीं राशन रुक जायेगा 
कोई स्कूल फ़ीस रह जाएगी 
कहीं इंतज़ार रह जायेगा 
कितने किस्से हुए दफ़न 
ये भी दफ़न हो जायेगा 
लेकिन वो शिकार हादसों का वोटर
फिर वापस कभी ना आएगा 

Saturday 6 October 2018


SDG LINK


https://www.un.org/sustainabledevelopment/sustainable-development-goals/

Friday 5 October 2018

HINDI POEM ON life's jiwan, zindagi , KHILONE KI DUKAN - HINDI POEM ON GOD'S CREATION-BY SUNIL AGRAHARI खिलौने की दुकान






****खिलौने की दुकान****

सब से ऊंचा पहाड़ देखा 
सब से लम्बी नदी को देखा 
सागर विशाल फैला देखा 
लम्बी ऊंची ईमारत देखा 
तैरता बड़ा जहाज़ देखा 
ऊंचे कद के जानवर देखा 
लम्बे चौड़े रोड को देखा 
बस ट्रक कार को भागते देखा 
ऊंचे पेड़ के जंगल  देखा 
पहाड़ बर्फ के समुन्दर देखा 
ये सब मैंने कोरी आँख से 
ज़मी पे रहते रहते देखा 
जहाज से उड़ कर आसमान से 
सारी धरती फिर से देखा 
कहे सुनील बड़े अचरज से 
करामात ऊपर वाले की 
सब कुछ अदना बौना देखा ,
बड़ा नहीं कोई ख़ुदा से बढ़ कर 
ग़ुरूर को गर्त में जाते देखा ,
चकाचौंध दुनियाँ को महज़ 
खिलौने की दुकान सी देखा।    १४/०९/२०१८ 








Monday 17 September 2018

poem on school memories YADON KE LIFAFE SE -poem on memories of school-BY SUNIL AGRAHARI यादों के लिफाफे से

 


SDG SONG 4: QUALITY EDUCATION

   





 **स्कूल**यादों के लिफाफे से 


यादों के लिफाफे से , बीते लम्हों की दस्तक ,
मंज़र आँखों  के सामने , भूला ना जिनको अब तक ,

कुछ कॉपी और क़िताबे लंच बॉक्स और वाटर बॉटल ,
क्लास रूम और टीचर्स की बातें, याद हैअब तक ,

मैंने सही समझ जो गलत किया ,उसे प्यार से सम्भाला,
मुश्किल सवाल आसान जवाब , यादों में मेरे अब तक ,

दिमाग के पन्ने खाली से , जीवन की डगर अन्जान थी ,
स्कूल से मंज़िल का सफर तय कर रहा हूँ अब तक ,

मेरे नाम को पहचान मिली , मेरा  हुनर चढ़ा परवान ,
स्कूल में पल कर बड़ा हुआ , कुछ बिसरा ना अब तक ,

स्कूल की गहरी बातों में बचपन डूबा रहता था ,
सफल हो रहा तैर के , डरता था जिनसे अब तक ,

शिक्षक जैसे धागों में , मोती से बच्चे पिरो कर ,
पथ सफल बनाने वाले  , प्रिंसिपल सर याद हैं अब तक 





...... 18 /09 /2018 

Thursday 12 July 2018

EARTH DAY SONG I Plastic Pollution Song I EWASTE SONG -प्लास्टिक प्रदूषण गीत SUNIL AGRAHARI

SDG song 11: SUSTAINABLE CITIES AND COMMUNITIES

                              Plastic Pollution Song 

*****प्लास्टिक प्रदूषण गीत *****  12/07/18           

EARTH DAY SONG 













                                                                      EARTH DAY SONG

हम बच्चे है एल्कॉन के ,कुछ कहने आप से आये है ,
प्लास्टिक के प्रदूषणका से,नुक्सान बताने आये है , 
हम बच्चे है एल्कॉन के ,कुछ कहने आप से आये है ,
प्लास्टिक के प्रदूषणका से, अर्थ बचाने आये है ,
1  
धरा और अम्बर  हुए प्रदूषित,जन जीवन भी हुआ है शापित
पशु पक्षी सेवन कर इसका,मौत के मुँह में समाये है ,
प्लास्टिक के प्रदूषणका से, अर्थ बचाने आये है ,
2  
प्लास्टिक खुद कभी नष्ट ना होती,प्रकृति को क्षति पहुंचती है ,
सकल जगत की मीठी छुरी,हम समझाने आये है

प्लास्टिक बिन हम जीना सीखें,सब मिल कर परित्याग करे
नाटक गीत के माध्यम से,हम संदेशा लाये है
प्लास्टिक के प्रदूषणका से, अर्थ बचाने आये है ,
3  
आने वाली पीढ़ी को हम,प्लास्टिक  में ना पैक करे
थैले कपडे,कागज़ के में ,सामान ले जाने आये  है
प्लास्टिक के प्रदूषणका से, अर्थ बचाने आये है ,
4  
गली गली कूचे में जा के,इसके दोष बतायेगे
जागरूक एल्कॉन के बच्चे,स्वास्थ्य बचाने आये है
प्लास्टिक के प्रदूषणका से, अर्थ बचाने आये है ,
पर्यावरण से प्लास्टिक का,रिश्ता एकदम ख़तम करो
"स्वस्थ धरा जन मानस हो, "SDG नम्बर 13 (तेरह )का ,
अर्थ को व्यर्थ न करने का 
           अभियान चलाने आये है  
हम बच्चे है एल्कॉन के ,कुछ कहने आप से आये है ,
प्लास्टिक के प्रदूषणका से,नुक्सान बताने आये है , 
हम बच्चे है एल्कॉन के ,कुछ कहने आप से आये है ,
प्लास्टिक के प्रदूषणका से, अर्थ बचाने आये है         

                                                                  सुनील अग्रहरि  

SONG TUNE YOUTUBE LINK 







***** E वेस्ट प्रदूषण *****

    हम बच्चे है एल्कॉन के ,कुछ कहने आप से आये है ,
       E वेस्ट  के प्रदूषण से,नुक्सान बताने आये है ,

धरा और अम्बर  हुए प्रदूषित,जन जीवन भी हुआ है शापित
पशु पक्षी सेवन कर इसका,मौत के मुँह में समाये है ,

E वेस्ट खुद कभी नष्ट ना होता ,प्रकृति को क्षति पहुंचता है ,
सकल जगत की मीठी छुरी,हम समझाने आये है

प्लास्टिक बिन हम जीना सीखें,सब मिल कर परित्याग करे
नाटक गीत के माध्यम से,हम संदेशा लाये है

       आने वाली पीढ़ी को हम,प्लास्टिक  में ना पैक करे
 थैले कपडे,कागज़ के में ,सामान ले जाने आये  है

पर्यावरण से  E वेस्ट का  ,रिश्ता एकदम ख़तम करो
"स्वस्थ धरा जन मानस हो, "SDG नम्बर 13 (तेरह )का ,
  अभियान चलाने आये है 

song by sunil agrahari 
ahlcon international school 
mayur vihar ph-1
delhi -91`

 







Wednesday 2 May 2018

hindi poem moral values, SUCHARITRA HINDI POEM, ON GOOD CORRECTOR sadachar - BY SUNIL AGRAHARI -सुचरित्र गीत














Published in  Mauritius 
Magazine - Akrosh
September 18



गौरव पूर्ण जीवन ही ,मनुष्य का चरित्र से ,
धन और ऊंची शिक्षा, पदवी से नहीं होता है ,
समाज में सम्मान सदैव सदाचारी का ,
जाति और धर्म से सम्बन्ध नहीं होता है ,

ईर्ष्या तो ,हो जाती है ,धन वाले मान से ,
कभी कभी  ज्ञान अभिमान हो जाता है ,
शुद्ध चरित्र से न करता है ईर्ष्या कोई , 
ऐसा सुचरित्र मन अशांत नहीं होता है ,

सुन्दर चरित्र  के अंग  भिन्न  भिन्न  है ,
रंग रूप इसमें भागीदार नहीं होता है ,
करता है सत्य पे अटूट विश्वास वो ,
सिद्धांतो का दृढ़ ,और कपट नहीं होता है ,

ऐसे ही चरित्र में  प्रेम और दया वाला  ,
सरल  ह्रदय स्वयं भाव  आ जाता  है ,
आत्म गौरव , सुचरित्र का एक गुण है ,
नीच कार्य में वो कभी शामिल नहीं होता है ,

सोच समझ हर एक काम करता वो ,
रिश्वत के सामने कभी ,झुकता नहीं है ,
सुन्दर चरित्र को धन की ना चिंता कभी ,
चरित्रहीन धनवान निर्धन रह जाता है ,



ऐसे ही , कुछ गुण , मनुष्य में आ जाये तो ,
सभ्य कुलीन , शिष्टाचारी कहलाता है ,
पवित्र चरित्र  के  प्रधान अंग जीने वाले , 
देवता या जीवन्मुक्त योगी कहलाता है। 
                                  
 03 /05 /2018 
 सुनील अग्रहरि 
एलकोन इंटरनेशनल स्कूल 
मयूर विहार - फेस -१ 
दिल्ली 





Tuesday 10 April 2018

Environment song -वृक्ष गीत

SDG TREE SONG 13: CLIMATE ACTION

Climate change is a global challenge that affects everyone, everywhere.

*****वृक्ष गीत  ***** tree song , nature song 















कितने प्यारे कितने सुन्दर ,
हरे भरे है पेड़ की छाया ,
पेड़ो से फल फूल है मिलते ,
जो है सब के मन को भाया ,
पंछी जंगल और पेड़ो की, 
माँ ने कहानी सुनाया ,
पेड़ है अनमोल धन ,
जीवन इसमें समाया। 

Monday 26 March 2018

Hindi kavita LIFE'S jiwan par MADARSA ZINDGI KA -BY SUNIL AGRAHARI -मदरसा ज़िंदगी का

Published in  Mauritius 
Magazine - Akrosh
April-18

****मदरसा ज़िन्दगी का****


ज़िंदगी के मदरसे  में जाना ज़रूर ,
ज़िंदगी सिखाती है सब कुछ हुज़ूर ,
बिना कागज़ ,कलम ,कम्प्यूटर के बदस्तूर ,
हर शै के साथ जीने का सलीका ,
अंदाज़ है इसका नायाब तरीका , 
टूटे हुए दिल को कैसे जोड़ना है ,
रिश्तों की गर्माइश कैसे कायम रखना है ,
ज़िन्दगी में रिश्तो को कैसे संजोना है ,
रिश्तों में ताल मेल कैसे बिठाना है ,
किसको रंगना है किसमें रंग जाना है ,
वख़्त की नज़ाकत तलफ़्फ़ुज़ औजार है ,
रिश्तों की तसल्ली बख्श ,महफूज़ हथियार है ,
तज़ुर्बों के बिना ये आते भी नहीं 
इनके बिना ये जिए जाते भी नहीं ,
इज़ाद किये इन्सा ने ग्लू सल्यूशन और गम,
असल ज़िन्दगी में है ये बेदम , 
क्यों की सुनील 
टूटे हुए रिश्ते इनसे जुड़ते नहीं ,
प्यार की तरफ रास्ते मुड़ते नहीं ,
मरने के बाद जिसे हम यहीं छोड़े जाते है ,
असल ज़िन्दगी में ये उसे ही जोड़े जाते है ,
रिश्ते तो जुड़ते है केवल त्याग और मुहब्बत से ,
रिश्तो की मियाद बढ़ती है प्यार के मरम्मत से, 
मिटाती है तंग दिल में छुपा ग़ुरूर ,
ज़िंदगी के मदरसे  में जाना ज़रूर ,
ज़िंदगी सिखाती है सब कुछ हुज़ूर ......    .....  
                                                  
POEM ON LIFE'S  
POEM ON LIFE EXPERIENCE 
POEM ON RELATIONSHIP 
  

Poem on life's jiwan AAJ KAL hindi poem , REALISTIC POEM - BY SUNIL AGRAHARI - आज कल


Published in  Mauritius 
Magazine - Akrosh
Jun 18

जीवन में  कैसा ग़दर मच रहा है,
तेंदुए का रुख शहर को हो रहा है ,

कोई रो रहा है , कोई हंस रहा है ,
वख़्त के दलदल में ,सब धंस रहा है ,

किसी की मुस्कुराहटों से कोई जी रहा है ,
हर कोई किसी की वजह बन रहा है ,

कोई ज़िंदा रहने की खातिर खा रहा है ,
कोई सिर्फ खाने के लिए जिए जा रहा है ,

ज़ज़्बात झूठे सच्चे में  कोई बह रहा है ,
आँखों में किसी की कोई गड़ रहा है ,

किसी की सिफारिशो से कोई बढ़ रहा है ,
कहानी  किसी की कोई गढ़ रहा है ,

उलझन किसी की कोई सुलझा रहा है ,
गलत बात को सही कोई समझा  रहा  है ,

इंसानियत पे एतबार कम हो रहा है ,
नासमझ मस्त ,समझदार मर रहा  है ,

गल्ती किसी की सजा कोई ढो रहा है
सुबूतों की जीत है कानून सो रहा है 

रिश्तों की तासीर काँच हो रहा है ,
पीसी चीनी समझो,नमक मिल रहा है,

कौन किसके साथ भरम हो रहा है ,
हर बात पे मुद्दा गरम हो रहा है ,

गरम मुद्दों से सवाल पैदा हो रहा  है ,
सवाल पैदा होते ही खड़ा हो रहा है ,

सुनील  इन सवालों संग पहेली हो रहा,
चुने संग पानी ,दही की सहेली हो रहा है। 








Monday 12 March 2018

Motivational hindi Poem- KYA HUAA - BY SUNIL AGRAHARI-क्या हुआ


                 

क्या हुआ 










Published in  Mauritius 
Magazine - Akrosh
November-18

*****क्या हुआ*****  

ऐ बहन मेरी , ऐ भाई मेरे 
ऐ दोस्त मेरे ऐ प्यार मेरे
मेरा मन मस्तिष्क ये कहता है
नाहक दुःख क्यों तू सहता है 

क्या हुआ ,जो तू ना हुआ सफल 
हर पल प्रयास कर नए प्रयोग ,     
कुछ ना कुछ तो आएगा ,
रफ़्तार तेरी जो बढ़ायेगा ,
अपनी कमियों को तलाश ले ,
इम्तहां के लिए तराश ले,                            
निराश ना हो जो मन का ना हो , 
क्या पता वही तेरी राह बने ,                           
जाने कितने विफल हुए ,
फिर हासिल किए बड़े मुकाम,                         
अनवरत विफल प्रयोगो से ,
कितने वैज्ञानिक बने महान ,

चकाचौंध इस दुनियां में ,
मत भागो बन कर के अंधे   ,
सफलताओं की मंज़िल पर , 
तेरा नाम लिखा है  ऐ बन्दे ,

अटूट भरोसा  रख दिल में ,
मेहनत से मिलेगा उसका पता ,
योद्धा असल वो कहलाता 
संघर्ष जो हर पल  है जीता,

बिना युद्ध हथियार जो डाले,
जीते जी मर जाता है,
कायरों  की श्रेणी में वो,
अपने नाम को पता है ,

लक्ष्य हासिल करने के लिए  ,
ज़ोर लगा एड़ी चोटी ,
गल्ती को तुम जगह ना दो ,
कितनी भी चाहे हो छोटी ,

यूँ ही नही हिमालय पर , 
कोई विजय पताका फहराता,
हौसला सख़्त चट्टानों सा, 
ले कर ही आगे बढ़ पाता ,

हर पल तुम तैयार रहो ,
जीवन में अच्छा  करने  को ,
खुदा ने तुझको भेजा है , 
कुछ काम अनोखा करने को ,

सब में कुछ न कुछ है छुपा , 
अपनी खूबी को पहचानों, 
ज्ञान विज्ञान विचार विमर्श    ,
से दूर ना हो नर संतानों 

वख्त तेरा भी आएगा ,
जब तू भी सफल कहलायेगा ,
पिघला दे मेहनत का लोहा , 
वो  सोना बन पायेगा ,

"तन्हाई " को  ना आने दो ,
सब  के संग तुम चले चलो,,  
पर डर के अपनी विफलता से .
कभी मौत से ना तुम गले मिलो x 3....... .. 

 सुनील अग्रहरि 

05/03/2018 
की वजह से ये मेरी  ये रचना मुख्या रूप से स्कूल के बच्चों और निराश व्यक्तियों के लिए है जो जीवन की छोटी छोटी  समस्याओं से शीघ्र ही घबरा कर ,  मानसिक अवसाद से पीड़ित हो जाते है और अंत में हम सब का साथ छोड़ कर इस दुनियां को अलविदा कह जाते है। 
Poem on Pepression , POEM FOR SUCCESS
Motivational Poem for students
Click the youtube link for poem rendition 










Wednesday 17 January 2018

POEM ON POLITICS, SIYASAT KI RAANI --SUNIL AGRAHAI-सियासत की रानी


***सियासत की रानी ***

सियासत की रानी तुम, बड़ी बेरहम ,
करती हो धोखा , दे के भरम ,

हमें हर घड़ी  अब , डर  है तुम्हारा ,
तुम्हारे बिना अब ना ,जीना गुजारा ,
ना जाने किसके कब ,फूटे करम ,
सियासत की रानी तुम बड़ी बेरहम।

नेता जी की जेब में , घर है तुम्हारा ,
अनपढ़ दलालों को , देती हो सहारा ,
बहस चाय चर्चा पे ,गरमा गरम, 
सियासत की रानी तुम बड़ी बेरहम ,

गिरगिट का रंग भी,अब तुमसे हारा ,
रंक हो या राजा कोई, सगा ना तुम्हारा ,
बंटा धार करती , हो कोई भी धरम ,
सियासत की रानी तुम बड़ी बेरहम।      

१८/०१/२०१८ 








Tuesday 9 January 2018

Rubaru-Reflation yourself POEM BY SUNIL AGRAHARI -रूबरू

****रूबरू ****  ****








मेरे मित्रों , बूट कैंप जाने से पहले  मन में एक कौंध थीऔर वापस आने के बाद एक नया तज़ुर्बा  जो शायद सब के मन में है , मेरी ये कविता उसी को बयां करने की कोशिश है ,आप अपने ख्याल comment box में लिखें ,जो की मेरी कविता से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है।               

वहाँ क्या होगा  ? I Discover I-2 कैसा होगा ?
शायद नई ज़मीं होगी, नया आसमाँ होगा ,
इक नई सोच होगी , एक नया अनुभव होगा ,
कुछ पुरानी सोच ,वहीँ छोड़ कर आना होगा ,
कुछ नये ख़याल ज़िन्दगी के , वहां से लाना होगा,
निजी ज़ज़्बातों को , यही छोड़ कर जाना होगा ,
ज़िन्दगी में कुछ नया करने के लिए ,
घर से बाहर तो जाना ही होगा,
अच्छा तो करते है,अब कुछ नायाब करना होगा, 
करने हैं जो काम, उसे समयबद्ध करना होगा ,
रहता हूँ अपनों संग ,
अब खुद को ढूंढने जाना होगा ,
वख़्त है बहुत कम सुनील ,
अपनी सोच को थोड़ा तो बदलना होगा,
कुँए के मेंढक को ,अब बाहर आना होगा,
ठहरे से दरिया में ,कंकड़ मारना होगा,
अलसाई सी सुबह को नींद से जगाना होगा,
ख़ुद को ख़ुद से रूबरू कराना ही होगा,
I Discover I-2 के लिए मेरे दोस्त ,
नूंर महल तो आना ही होगा,
तभी तो ये "ख़ुद ", इक नायाब इंसा होगा। 



                                                                         सुनील अग्रहरि 10/01/2018