खुद को देश भक्त बताते हो, सीमा पर जंग करने की हिम्मत हो तो आओ एक बार , दिल दिमाग फट जायेगा , सुन कर मौत की चीख पुकार , सियासत तेरी चमकती रहे पैदा करते हो पत्थर मार ,
शहीदी तोहफ़े त्योहारों पर
हम कफ़न ओढ़ घर लाते है ,
आँसू वाले खारे शरबत
घरवाले पी जाते है ,
हर पल ऐश से जीने को
तुम घर से रोज़ निकलते हो ,
ठंडी हवा के झोंकों में
सुकून की साँसे लेते हो,
जब चाहे जहाँ चाहे
तुम करते लीला मंगल ,
चौबीसों घंटे मौत से हम
जंगल में करते दंगल ,
चैन से तुम घर सो सको
हम ख़ुशी से मर के जीते है ,
तेरी नमक हराम बातों से गहरे ज़ख्मो को सीते हैं , मेरे माँ बाप पत्नी और बच्चे
करते रहते हैं इंतज़ार ,
मिलने का वादा उनसे
टूट जाता है बार बार , कैसे कहूँ सुनील,
शहीद हुए हम बॉर्डर पर
लाशें ग़ुम हुई कितनी बार , शहीद की फोटो खबरें बन कर बिकते घर घर गली बाज़ार ,
घाव खून बदन के टुकड़े
आते टी वी के खबरों में,
बहुत ज़्यादा ढूढ़ मची तो
मिल जाते है हम कब्रों में,
गया था ज़िंदा घर से मैं वापस आया बन कर अखबार , रह गई मन में एक कसक काश मिलता सब से एक बार , नेताओं की नीच सियासत से श्मशान बना मेरा घर द्वार , हवन सामग्री बन हम जलते हैं नेताओं का होता रहा उद्धार। .......
काले को काला मत कहना , लोगो को बुरा लग जायेगा , गलती से सच को मत बोलो, तेरा वक़्त बुरा आ जायेगा , आईने में देख आँखों को कुछ पल को मै वही ठहर गया खुदा ने सब की आँखों में सच झूठ का रंग भर दिया झूठ की तस्दीक़ के लिए पुतली काली कर दिया फिर सच का रंग सफ़ेद चारो तरफ फैला दिया सोचने समझने का जिम्मा हम इंसानो को ही दे दिया की देखे हम काला, या देखे सफ़ेद देखे हम सच , या देखें फरेब फिर वकील साहब की ड्रेस पर ध्यान मेरा गया , काले सफ़ेद का भेद मुझे समझ आ गया , वकील साहब ने सफ़ेद शर्ट के ऊपर काला कोट पहन रक्खा है , जैसे सच को झूठ ने ज़ोरों से जकड रक्खा है , भला हो उस छोटी सी कण्ठ लगोंट (टाई ) का जिसने सच्चाई की आवाज़ का परचम गले से पकड़ रक्खा है , क्यों की एक दिन जीत सच्चाई की ही होती है ये हम सब को बता रक्खा है। 16 /09 /2018
हर शै के साथ जीने का सलीका , अंदाज़ है इसका नायाब तरीका ,
टूटे हुए दिल को कैसे जोड़ना है , रिश्तों की गर्माइश कैसे कायम रखना है , ज़िन्दगी में रिश्तो को कैसे संजोना है , रिश्तों में ताल मेल कैसे बिठाना है , किसको रंगना है किसमें रंग जाना है , वख़्त की नज़ाकत तलफ़्फ़ुज़ औजार है , रिश्तों की तसल्ली बख्श ,महफूज़ हथियार है , तज़ुर्बों के बिना ये आते भी नहीं , इनके बिना ये जिए जाते भी नहीं , इज़ाद किये इन्सा ने ग्लू सल्यूशन और गम, असल ज़िन्दगी में है ये बेदम , क्यों की सुनील टूटे हुए रिश्ते इनसे जुड़ते नहीं , प्यार की तरफ रास्ते मुड़ते नहीं , मरने के बाद जिसे हम यहीं छोड़े जाते है , असल ज़िन्दगी में ये उसे ही जोड़े जाते है ,
रिश्ते तो जुड़ते है केवल त्याग और मुहब्बत से , रिश्तो की मियाद बढ़ती है प्यार के मरम्मत से, मिटाती है तंग दिल में छुपा ग़ुरूर ,
जीवन में कैसा ग़दर मच रहा है, तेंदुए का रुख शहर को हो रहा है ,
कोई रो रहा है , कोई हंस रहा है , वख़्त के दलदल में ,सब धंस रहा है , किसी की मुस्कुराहटों से कोई जी रहा है , हर कोई किसी की वजह बन रहा है , कोई ज़िंदा रहने की खातिर खा रहा है , कोई सिर्फ खाने के लिए जिए जा रहा है ,
ज़ज़्बात झूठे सच्चे में कोई बह रहा है , आँखों में किसी की कोई गड़ रहा है , किसी की सिफारिशो से कोई बढ़ रहा है , कहानी किसी की कोई गढ़ रहा है , उलझन किसी की कोई सुलझा रहा है , गलत बात को सही कोई समझा रहा है , इंसानियत पे एतबार कम हो रहा है , नासमझ मस्त ,समझदार मर रहा है , गल्ती किसी की सजा कोई ढो रहा है सुबूतों की जीत है कानून सो रहा है रिश्तों की तासीर काँच हो रहा है , पीसी चीनी समझो,नमक मिल रहा है, कौन किसके साथ भरम हो रहा है , हर बात पे मुद्दा गरम हो रहा है , गरम मुद्दों से सवाल पैदा हो रहा है , सवाल पैदा होते ही खड़ा हो रहा है , सुनील इन सवालों संग पहेली हो रहा, चुने संग पानी ,दही की सहेली हो रहा है।
05/03/2018 की वजह से ये मेरी ये रचना मुख्या रूप से स्कूल के बच्चों और निराश व्यक्तियों के लिए है जो जीवन की छोटी छोटी समस्याओं से शीघ्र ही घबरा कर , मानसिक अवसाद से पीड़ित हो जाते है और अंत में हम सब का साथ छोड़ कर इस दुनियां को अलविदा कह जाते है।
Poem on Pepression , POEM FOR SUCCESS Motivational Poem for students
मेरे मित्रों , बूट कैंप जाने से पहले मन में एक कौंध थीऔर वापस आने के बाद एक नया तज़ुर्बा जो शायद सब के मन में है , मेरी ये कविता उसी को बयां करने की कोशिश है ,आप अपने ख्याल comment box में लिखें ,जो की मेरी कविता से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है।
वहाँ क्या होगा ? I Discover I-2 कैसा होगा ?
शायद नई ज़मीं होगी, नया आसमाँ होगा ,
इक नई सोच होगी , एक नया अनुभव होगा ,
कुछ पुरानी सोच ,वहीँ छोड़ कर आना होगा ,
कुछ नये ख़याल ज़िन्दगी के , वहां से लाना होगा,
निजी ज़ज़्बातों को , यही छोड़ कर जाना होगा ,
ज़िन्दगी में कुछ नया करने के लिए ,
घर से बाहर तो जाना ही होगा,
अच्छा तो करते है,अब कुछ नायाब करना होगा,
करने हैं जो काम, उसे समयबद्ध करना होगा ,
रहता हूँ अपनों संग ,
अब खुद को ढूंढने जाना होगा ,
वख़्त है बहुत कम सुनील , अपनी सोच को थोड़ा तो बदलना होगा,
कुँए के मेंढक को ,अब बाहर आना होगा,
ठहरे से दरिया में ,कंकड़ मारना होगा,
अलसाई सी सुबह को नींद से जगाना होगा,
ख़ुद को ख़ुद से रूबरू कराना ही होगा, I Discover I-2 के लिए मेरे दोस्त , नूंर महल तो आना ही होगा,