Thursday 19 July 2012

Malum hai hindi kavita , मालूम है हिंदी कविता sunil agrahari










Published in  Mauritius 
Magazine - Akrosh
September 17
 .....मालूम है ......


खुदाभी है इस दुनिया में,ये तो सब को मालूम  है 
क्या क्या राज है किसके दिल में ,ये तो खुदा  को मालूम  है  

गर  तबियत  नासाज़ हो ,हर  शख्स दावा को लेता है 
दावा ज़हर कब बन जाये ,ये तो दावा को  मालूम   है  

शम्मां तो खुद जलती है ,जग  को  रोशन करती  है 
खुद जलने में क्या  रक्खा है ,ये तो शम्मां को मालूम है 

ठंडी ठंडी हवा के झोंके ,सब के मन के  भाती है  ,
कब झोंके बन जायेतूफ़ान ,ये तो हवा को  मालूम है 


                            

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