...दुनियां वालों ....
मै आज हुवा हूँ दीवाना ,मेरी बात सुनो दुनिया वालों ,
हो जाये गर भूल कोई ,
तो माफ़ करो दुनियां वालों ,
मैखाने में बैठा था ,
हम प्याला न साथ कोई ,
तन्हा मै बेहोश हुवा ,
माफ़ करो दुनियां वालों,
सफ़र को घर से निकला था
हम राही न साथ कोई,
तन्हां रस्ता भटक गया ,
माफ़ करो दुनियां वालों,
यार मेरे न साथ कोई ,
तन्हां मै बर्बाद हुवा ,
माफ़ करो दुनियां वालों,
लेखक - सुनिल अग्रहरि
लेखक - सुनिल अग्रहरि
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