Sunday 22 July 2012

judai bewafai ke geet kavita @sunilagrahari




........क्या करूँ .......

कल तलक जो अजनबी  थे ,हो गए वो रूबरू ,
दिल जो उनपर आ गया तो भला मै  क्या करूँ,

ऊब कर तन्हाई से निकला था मिलने मौत से ,
मिल गई जो ज़िन्दगी तो भला मई क्या करू ,
  
मय से था लवरेज प्याला ,पी रहा था आँख से ,
थे वो मेरे सामने ,  मै   भला फिर क्या करूँ ,

हुस्न का जलवा दिखेगा ,था न सोचा ख्वाब में ,
रात रूमानी हो  गई तो भला मै  क्या करूँ 



                         लेखक -सुनिल  अग्रहरि 

No comments:

Post a Comment