........क्या करूँ .......
कल तलक जो अजनबी थे ,हो गए वो रूबरू ,
दिल जो उनपर आ गया तो भला मै क्या करूँ,
ऊब कर तन्हाई से निकला था मिलने मौत से ,
मिल गई जो ज़िन्दगी तो भला मई क्या करू ,
मय से था लवरेज प्याला ,पी रहा था आँख से ,
थे वो मेरे सामने , मै भला फिर क्या करूँ ,
हुस्न का जलवा दिखेगा ,था न सोचा ख्वाब में ,
रात रूमानी हो गई तो भला मै क्या करूँ
लेखक -सुनिल अग्रहरि
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