....पाया .....
Jankaarikaal magazine August 2023
शहरों की गलियों में ,ढूंढा अपने आप को ,
अँधेरे में पाया ,मैंने अपने आप को ,
कर के वफ़ा मैंने ,दिखाया अपने यार को ,
बदले में पाया ,खतरे में अपनी जान को ,
शोरगुल में चाहा ,पाना सुनसान को ,
आदमी के भेष में पाया शैतान को ,
मतलब परस्त दुनियां में ,देखा इन्सान को ,
कचरे के ढेर में पाया ईमान को ,
सुनील अग्रहरि
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