...नज़र...
बूंद ए बारिश में तेरा अक्स नज़र आता है ,पास पाकर न तुझे ,अश्क निक आता है ,
बीते लम्हातों ने दिल को जो सदा दी है ,
वो तेरे प्यार में जीने की सज़ा दी है
ग़म जुदाई का कहर देख सिहर जाता है
साथ तारों के तन्हां आफ़ताब लगता है ,
ख्वाब में तुझको न पा कर अज़ाब होता है ,
शाख ए ग़ुल प्यास से बेहाल नज़र अता है
सर्द मौसम की हवा आज तूफानी है ,
ठंडी पड़ती मेरे रूह की कहानी है ,
अब तो हर बात में काश नज़र आता है ,
लेखक -सुनिल अग्रहरि
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