...............चला गया..............
घर से निकला साथ में ,वापस लौटा बिछड़ गया ,
दर दर पुछा राह अपना ,घर का पता मै भूल गया ,
चाँद से बोला रौशन कर दे , ढूंढ लूं दरों दीवारों को ,
चंद लम्हे रौशन कर चंदा ,हाथ हिला कर चला गया ,
किसको रोकूँ किस्से पूछूँ ,इस अनजानी बस्ती में ,
हाथ मिला कर गले लगाया ,भरम तोड़ कर चला गया ,
बैठ किनारे दरीया के , सोचा पूछूं रेत से,
हवा का झोंका ऐसा आया ,रेत उड़ा कर चला गया ,
-सुनिल अग्रहरि
No comments:
Post a Comment