...ठीक नहीं...
तन्हां तन्हां रोते रहना ,यूँ तो ऐसे ठीक नहीं ,सहमें सहमें आगे चलना ,यूँ तो ऐसे ठीक नहीं ,
सफ़र है लम्बा जीवन का पूछ लो हर चौराहे पर ,
चलते चलते राह भटकना ,यूँ तो ऐसे ठीक नहीं ,
कौन है अपना कौन पराया ,ये तो कहना मुश्किल है ,
सब से हंस के हाथ मिलाना ,यूँ तो ऐसे ठीक नहीं ,
ग़म से तू घबराना मत ,खुशियाँ आनी जानी है ,
क़दम क़दम पे किस्मत रोना ,यूँ तो ऐसे ठीक नहीं ,
मंजिल तेरी दूर नहीं , नाम खुदा का लेके चल ,
थके थके से कदम बढ़ाना ,यूँ तो ऐसे ठीक नहीं ,
लेखक-सुनिल अग्रहरि
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