.... दरिया-ए-सकी.......
धन दौलत जिसके साथ है , उसका जीना मुश्किल ,
और साकी जिसके साथ है ,उसका मरना मुश्किल ,
खुदा मुझसे कह दे , तू जो चाहे ले ले ,
कहूँगा खुदा से मै , दरया -ए - सकी ,
हवा जब चलेगी ,यूँ दरिया से हो कर ,
उसका नशा भी अजब होगा साकी ,
जब भी किसी को सताएगी दुनियां ,
तन्हां में साथी , बनेगा ये साकी ,
दरिया किनारे दरख्तों के साये ,
नशा ठन्डे सायों का अजब होगा साकी ,
रिन्दों की हसरत ,यहीं मरना होगा ,
नशा मरने वालों का अज़ब होगा सकी ,
सारा शहर जब सन्नाटे में होगा ,
सहारा बनेगा ये , दरया -ए - सकी
लेखक-सुनिल अग्रहरि
धन दौलत जिसके साथ है , उसका जीना मुश्किल ,
और साकी जिसके साथ है ,उसका मरना मुश्किल ,
खुदा मुझसे कह दे , तू जो चाहे ले ले ,
कहूँगा खुदा से मै , दरया -ए - सकी ,
हवा जब चलेगी ,यूँ दरिया से हो कर ,
उसका नशा भी अजब होगा साकी ,
जब भी किसी को सताएगी दुनियां ,
तन्हां में साथी , बनेगा ये साकी ,
दरिया किनारे दरख्तों के साये ,
नशा ठन्डे सायों का अजब होगा साकी ,
रिन्दों की हसरत ,यहीं मरना होगा ,
नशा मरने वालों का अज़ब होगा सकी ,
सारा शहर जब सन्नाटे में होगा ,
सहारा बनेगा ये , दरया -ए - सकी
लेखक-सुनिल अग्रहरि
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