.......चल दिए ...
आंसुवों का ये समुन्दर क्यूँ बहा कर चल दिये ,
जख्म पहले ही बहोत थे ,क्यूँ बढ़ा कर चल दिये ,
जख्म पहले ही बहोत थे ,क्यूँ बढ़ा कर चल दिये ,
रेत का मैदान मुझको क्यूँ सदा देता हा आज ,
दिल पपीहा का तड़प कर क्यूँ दुआ देता है आज ,
जल रही थी दिल की शम्मां क्यूँ भुझा कर चल दिये ,
दिल पपीहा का तड़प कर क्यूँ दुआ देता है आज ,
जल रही थी दिल की शम्मां क्यूँ भुझा कर चल दिये ,
आशियाँ हमने बनाया क्यूँ उजाड़ा आप ने ,
मय से थी आबाद दुनियां क्यूँ छुडाया आप ने ,
डगमगा कर गिर पड़े थे ,क्यूँ उठा कर चल दिए ,
मय से थी आबाद दुनियां क्यूँ छुडाया आप ने ,
डगमगा कर गिर पड़े थे ,क्यूँ उठा कर चल दिए ,
लेखक -सुनिल अग्रहरि
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