Monday 23 July 2012

kya hua - life experience hindi get kavita @sunilagrahari

 

     


        ...क्या हुवा ..


क्या  हुवा है  फ़ज़ाओं को, जो रेत  उड़ाती रहती है ,
शायद  खुशबू ख़त्म  हुई ,या  कुदरत की मर्ज़ी है ,

क्या हुवा है पायल   को जो ,जो खामोश रहती है ,

 शायद   घुंघुरू  टूट गए  या , पैरों   की  मर्ज़ी   है ,

क्या हुवा है बस्ती को ,शमशानी  छाई रहती है ,

शायद कोई दिल टूट  , या शहरों को  मर्ज़ी   है , 

क्या हुवा उन राहों को जो राहें सुनी रहती है ,

शायद  राही  खत्म हुवे ,या लोगों की मर्ज़ी   है , 

                               लेखक -सुनिल अग्रहरि 



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